बिजेकर ने कहा - शाला बंद का निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ही एक हिस्सा

वाशिम बिजेकर ने कहा - शाला बंद का निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ही एक हिस्सा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-22 11:48 GMT
बिजेकर ने कहा - शाला बंद का निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ही एक हिस्सा

डिजिटल डेस्क, वाशिम. महाराष्ट्र की 15 हज़ार शालाएं पटसंख्या को लेकर बंद करने का निर्णय यानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का दृश्य परिणाम है, ऐसा प्रतिपादन सत्यशोधक शिक्षक सभा के पूर्व अध्यक्ष रमेश बिजेकर ने व्यक्त किया। वे वाशिम में रविवार को आयोजित शाला बचाओ समिति की बैठक में विचार व्यक्त कर रहे थे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सामान्य गरीब और किसान परिवार के विद्यार्थी हित के विरोध में है, ऐसा बताते हुए उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति के भीषण परिणाम जनता के सामने आ रहे हैं। राज्य की 20 से कम पटसंख्यावाली 15 हज़ार शालाएं बंद करने से 50 हज़ार शिक्षक अतिरिक्त हो जाएंगे। 

सभी को शिक्षा और रोजगार देने में नाकाम रही सरकार {वर्तमान शासनकर्ता सभी को शिक्षा और रोज़गार देने में नाकाम साबित हो रही है। इसी कारण नई शिक्षा नीति पर महाराष्ट्र में अमल किया जा रहा है। पूर्व में वर्ण व्यवस्था ने महिला-शुद्रांें को अर्थात वर्तमान एससी, एसटी, ओबीसी जातियों की शिक्षा नाकारी थी। क्योंकि तत्कालीन व्यवस्था में महिला और शुद्र गुलाम थे और गुलामाें को शिक्षा नहीं दी जाती थी। इस कारण पहली बार क्रांति सूर्य महात्मा ज्योतिराव फुले और क्रांतिज्योति सावित्री बाई फुले ने बहुजनाें की शिक्षा के लिए भारी संघर्ष किया। उन्होंने महिलाओं और शुद्रों के लिए शाला शुरु कर प्रत्यक्ष शिक्षा भी दी। राजर्षि शाहू महाराज और डा. बाबासाहब आंबेडकर ने भी अपने समाजकार्य में शिक्षा को अनन्यसाधारण महत्व दिया। इन महापुरुषाें ने अपने तक शिक्षा प्रयासपूर्वक लाई और गुलामी की बेड़ियां तोड़ी। लेकिन वर्तमान नेता और शिक्षा सम्राट इसके विरोध में भूमिका लेते नज़र आ रहे हैं। दिन-ब-दिन शिक्षा का निजीकरण कर शिक्षा को खरीदी-बिक्री की वस्तु बनाया जा रहा है। जिनके पास पैसा है, उसे शिक्षा और जिनके पास पैसा नहीं, उसे शिक्षा नहीं, यह वर्तमान शिक्षा व्यवस्था का सूत्र बन गया है।

पूर्व में गुलाम होने से शिक्षा नकारी गई थी और आज के आधुनिक युग में शिक्षा महंगी कर बहुजन गरीब जातियों और वर्गों को गुलामी में धकेलने का कारस्थान शुरु है। इसके लिए स्वयं शासन व्यवस्था का ही आधार लिया जा रहा है। बहुजनाें पर इसी प्रकार की गुलामी लादकर तमाशबीनों का वर्ग कम अधिक प्रमाण में सभी राजनीतिक दलों में और प्राथमिकता से जाति व्यवस्था में ऊपरी स्थान पर रहनेवाली जातियों में है। इस कार्य में दलित और ओबीसी जाति के लोगों का उपयोग भी भारी मशक्कत के साथ किए जाने की जानकारी बिजेकर ने दी। जिला परिषद और नगर परिषद की अधिकतर शालाओं की अवस्था आज जर्जर हो चुकी है। शिक्षा क्षेत्र की कभी न हुई हो, इतनी बुरी अवस्था हो गई है। इस पृष्ठभूमि पर शिक्षा क्षेत्र में काम करनेवाले विविध संगठनों की ओर से बंद की जानेवाली शालाएं बचाने के लिए राज्यस्तरीय शाला बचाव परिषद लेने हेतु पहल की गई है। इसे लेकर बैठक में चर्चा की गई। बैठक में शाला बचाओ समिति के पदाधिकारी और शिक्षक संगठनों के पदधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

इस कारण राज्य के लगभग 2 लाख विद्यार्थी शिक्षा के प्रवाह से बाहर फेंके जाने की धक्कादायक जानकारी भी बिजेकर ने दी। इस कारण शालाआंे को बचाने के लिए सभी समविचारी संगठनों की राज्यव्यापी एकजुटता ज़रुरी है, ऐसा प्रतिपादन भी उन्होंने किया। सत्यशोधक शिक्षक सभा के महाराष्ट्र राज्य पूर्व अध्यक्ष रमेश बिजेकर ने प्रचलित शिक्षा व्यवस्था को गिराने के लिए जिम्मेदार रहनेवाले राज्यकर्ताओं के प्रति तीव्र असंतोष व्यक्त किया।

 

Tags:    

Similar News