हटा के घुटरिया में सभी जल स्रोत सूखे
दस दिन से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीणों का टूटा सब्र का बांध, उतरे सड़क पर, अफसरों के साथ नेताओं को भी कोसा हटा के घुटरिया में सभी जल स्रोत सूखे
डिजिटल डेस्क दमोह। हटा ब्लॉक की ग्राम पंचायत हरदुआ सड़क के ग्राम घुटरिया की 2 हजार की आबादी इन दिनों बूंद-बूंद पानी को मोहताज है। यह स्थिति गर्मी द्वारा मार्च महीने में ही दिखाए गए तीखे तेवरों और प्रशासनिक अफसरों तथा जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की वजह से बनी है। यहां के सभी जल स्रोत सूख गए हैं। पानी की स्थिति तो फरवरी महीने से बिडऩे लगी थी, जो अब विकराल रूप ले चुकी है। न तो हैण्डपंप काम कर रहे हैं और न ही नल-जल योजना से पानी मिल रहा है। कुएं, तालाब सब सूखे पड़े हैं। 44 डिग्री तापमान के आगे ग्रामीण पस्त पड़ गए हैं और 2 किलोमीटर दूर से पानी ढोकर लाने हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। नतीजन सब्र का बांध टूटने लगा हैे। अफसरों, नेताओं की वादाखिलाफी ने इन्हें सड़क पर आने मजबूर कर दिया है।
जिले के ३०० से ज्यादा गांवों में पेयजल का संकट
जिले की ८ तहसील अंतर्गत ४६० ग्राम पंचायत तथा१२२९ गांव हैं। इनमें से पहाड़ी इलाकों में बसे ३०० से ज्यादा गांवों में फरवरी माह में ही पानी का संकट गहरा गया था, जो अब विकराल रूप ले चुका है। तेंदूखेड़ा ब्लॉक की ग्राम पंचायत पोंडी तारादेही, कोटखेड़ा, बमनोटा, बिलथरा, बिसनाखेड़ी, समनापुर, इमलीडोल, पाड़ाझिर, जरूआ, बारई, खकरिया, सेलवाड़ा, अजीतपुर खमरिया सहित हटा ब्लॉक के डोली, मडिय़ादो, घोघरा, बछामा, इमझर, पाठा, घुटरिया करीब तीन दर्जन गांवों में पानी की समस्या है। दमोह, पटेरा , पथरिया, जबेरा, बटियागढ़ ब्लॉक में ऐसे कई गांव हंै जहां पानी ढोना नियति बन चुकी है। ग्रामीण सारा काम छोड़, चौबीसों घंटे पानी की व्यवस्था करने में लगे रहते हैं।
नाराज ग्रामीण महिलाओं तथा बच्चों के साथ, हाथों में पानी के खाली बर्तन, कुप्पा, घड़ा आदि लेकर दमोह-हटा-पन्ना स्टेट हाइवे (49) पर बैेठ गए। दो घंटे तक प्रदर्शन किया। इस दौरान शासन-प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए। नेताओं को भी कोसा। सड़क पर ग्रामीणों का हुजूम देख, वाहनों के चके जाम हो गए। वाहनों की लंबी कतार में दो घंटे तक लोग पसीना-पसीना होते रहे। एसडीएम (हटा) अनुराग सिंह ठाकुर ने चालू हालत के बोरिंग व अन्य जल स्त्रोतों का अधिग्रहण कर पानी दिये जाने का अश्वासन तो दे दिया लेकिन कब तक साफ नहीं। इसी तरह से जनपद पंचायत एवं पीएचई विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके समाधान खोजने की जो बात कही वह भी केवल आश्वासन मात्र रही। बैठक कब होगी, उसमें गांव के लोग या उनका प्रतिनिधिमंडल भी शामिल किया जाएगा या नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया। ५० लाख से ज्यादा खर्च, फिर भी नहीं मिला पानी
प्रदर्शनकारियों धनीराम रैकवार, अरविंद पटेल तथा बालकिशन पटेल ने बताया कि तकरीबन ५ साल पहले पीएचई ने लगभग ५० लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर नल-जल योजना का काम किया था। पूरे गांव में करीब ६ किलोमीटर लंबी पाइप लाइन डालकर घर-घर कनेक्शन दिए गए। टंकी बनाए जाने के साथ बोरवेल भी खोदे गए। लेकिन इसके जरिये एक बूंद पानी ग्रामीणों को नहीं मिला। इस मुद्दे पर पंचायत और पीएचई विभाग के बीच नूराकुश्ती जारी है।