अजय कस्बे को 10 वर्ष का सश्रम कारावास
वाशिम अजय कस्बे को 10 वर्ष का सश्रम कारावास
डिजिटल डेस्क, वाशिम। मंगरुलपीर की जिला अतिरिक्त व सत्र न्यायाधीश डा. रचना आर. तेहरा ने मंगलवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में 17 वर्षीय किशोरी को विवाह का लालच देकर भगा ले जाने और पुणे के हड़पसर में उसके साथ ज़ोरज़बरदस्ती से दुष्कर्म करने के आरोप में मानोरा तहसील के पोहरादेवी निवासी आरोपी अजय वासुदेव कस्बे को धारा 376 (2) तथा पास्को के तहत 10 वर्ष के सश्रम कारावास और 5 हज़ार रुपए का जुर्माना तथा जुर्माना न भरने की दशा में 6 माह के अतिरिक्त कारावास की सज़ा सुनाई। प्रकरण में संक्षिप्त जानकारी के अनुसार मानोरा तहसील के ग्राम इंजोरी निवासी पीड़ित 17 वर्षीय किशोरी के पिता ने 28 अप्रैल 2016 तथा पीड़ित किशोरी ने 4 मई 2016 को मानोरा पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई कि मानोरा पुलिस स्टेशन के तहत पीड़ित किशोरी जब अपने मामा के यहां पोहरादेवी में शिक्षा हासिल कर रही थी, तभी से पोहरादेवी निवासी आरोपी अजय वासुदेव कस्बे उसे विवाह की बात कहते हुए परेशान कर रहा था, लेकिन पीड़िता के इनकार करने पर उसने उससे कहा कि तू मेरे साथ भाग चल, अन्यथा मैं अपनी जान देकर तेरे नाम से चिट्ठी लिखकर रखुंगा। इस धमकी के बाद इच्छा न होते हुए भी पीड़िता घबराकर आरोपी के साथ 28 अप्रैल 2016 को तड़के आरोपी के साथ चली गई। आरोपी ने उसे पुणे के हड़पसर ले जाकर उसकी इच्छा के विरुध्द उसके साथ दुष्कर्म किया। मामले में पीड़िता के पिता ने मानोरा में पूर्व में ही आरोपी के विरुध्द भगा ले जाने की शिकायत दर्ज की थी। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के साथ पीड़िता को पुणे के हड़पसर से पकड़ा। बाद में पीड़िता की शिकायत पर मानोरा पुलिस ने आरोपी अजय वासुदेव कसबे के खिलाफ धारा 376 (2), 366, 363 व लैंिगक अत्याचार से बालकों की सुरक्षा कानून की धारा 3, 4 के तहत अपराध दर्ज किया। प्रकरण में पीड़िता की चिकित्सकीय जांच, आरोपी, पीड़िता व अन्य गवाहों के जवाब दर्ज कर जांच अधिकारी ने मंगरुलपीर सत्र न्यायालय में दोषारोप पत्र दाखिल किया।
16 गवाहों के बयान के आधार पर न्यायालय ने सुनाया फैसला
न्यायालय में चले इस मामले में सरकार पक्ष की ओर से 16 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। जिसके बाद मंगरुलपीर की जिला व सत्र न्यायाधीश डा. रचना आर. तेहरा ने आरोपी अजय वासुदेव कस्बे को भादंवि की धारा 376 (2) और पोस्को कानून की धारा 4, 5 व 6 के तहत दोषी मानते हुए 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 5 हज़ार रुपए जुर्माना, जुर्माना न भरने पर 5 माह के अतिरिक्त कारावास की सज़ा सुनाई। इसी प्रकार धारा 506 के तहत एक वर्ष का कारावास और 500 रुपए जुर्माना, धारा 366 के तहत एक वर्ष का कारावास और 500 रुपए जुर्माना, धारा 363 के तहत एक वर्ष का कारावास और 500 रुपए जुर्माना भरने की सज़ा सुनाई। प्रकरण में सरकार की ओर से सहायक सरकारी अधिवक्ता पी. एस. ढोबले ने पैरवी की।