1 हजार गांव में 5 लाख पशुधन, चिकित्सक केवल 15
1 हजार गांव में 5 लाख पशुधन, चिकित्सक केवल 15
डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । नरसिंहपुर जिला कृषि आधारित जिला होने की वजह से यहां कृषि के अलावा पशुपालन मुख्य व्यवसाय में शुमार है, लेकिन यहां पशु चिकित्सा सेवा की स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण पशु पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पशु चिकित्सकों की कमी चिकित्सालय, औषधालय, उपकेन्द्रों एवं गर्भाधान केन्द्रों में व्यवस्थाओं का टोटा जैसी समस्याओं के चलते पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण और नस्ल सुधार जैसी सुविधाएं बाधित हो रही हैं। लाखों की संख्या में मौजूद पशुधन की स्वास्थ्य रक्षा के लिए चंद चिकित्सक ही मौजूद हैं। पशुओं के उपचार का जिम्मा एबीएफओ पर है, वह भी गिने-चुने हैं।
पांच लाख से अधिक पशु
जिले में बीते वर्षों में हुई 19वीं पशु गणना के मुताबिक पांच लाख से अधिक पशु थे, इनकी संख्या में इजाफा ही हुआ है, लेकिन उनके लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। गणना के जो आंकड़े आये थे, उनके अनुसार उस समय गौवंश के 321113, भैंसवंश के 127230, बकरी 106612, घोड़ा 256, गधे व खच्चर 575 कुल 559356 पशु धन था।
यह है केन्द्रों की स्थिति
वर्तमान स्थिति में जिले में 14 पशु चिकित्सालय 32 पशु औषधालय, 04 कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र, 50 पशु उप स्वास्थ्य केन्द्र , एक केन्द्रीय वीर्य संग्रहण केन्द्र एवं एक मोबाइल यूनिट है जहां पशुओं का उपचार होता है।
स्टॉफ की भारी कमी
पशु स्वास्थ्य सेवा में चिकित्सकों के अलावा अन्य स्टॉफ की भारी कमी है। वर्तमान स्थिति में जिले में 15 चिकित्सक हैं। यहां पदस्थापना 21 की है जिनमें 6 कम हैं। एबीएफओ के 113 पद स्वीकृत हैं जिनमें मात्र 62 कार्यरत हैं। यह व्यवस्था वर्षों पुरानी है जो वर्तमान समय के हिसाब से काफी कम है और वह भी पूरी नहीं है।
आपात स्थिति में दिक्कत
जिले के शहरी एवं ग्रामीण सभी क्षेत्रों में पशु पालन होता है। सामान्यत: पशुओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्यायें हमेशा होती हैं, लेकिन कई बार आपात स्थिति बनती है, जब पशुओं को कोई बीमारी घेरती है। बारिश के मौसम में यह हालात हमेशा बनते हैं, उस समय जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की कमी पशु पालकों के लिए दिक्कत पैदा करने वाली होती है।
77 के भरोसे 1 हजार से अधिक गांव
जिले में पशु चिकित्सा एवं नस्ल सुधार योजना को अमलीजामा पहनाने 15 चिकित्सक व 62 सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी हैं और इन 77 चिकित्सकों के भरोसे जिले के 1 हजार से अधिक गांव हैं। स्थिति यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों को अपने पशुओं का उपचार कराने मे ंभी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां पशुओं के लिए संचालित स्वास्थ्य सुविधाएं सहायक पशु चिकित्सा अधिकारियों के हवाले हैं।
इनका कहना है
जिले में स्टाफ की कमी है फिर भी वैकल्पिक व्यवस्थाओं के जरिये कार्य किया जा रहा है। स्टाफ की पूर्ति के लिए मांग भी की गई है।
डॉक्टर जेपी शिव उपसंचालक पशु चिकित्सा अधिकारी