मरीज के पेट से निकले आरी, सूजा, पेन, तिल्ली, रबड़, बाल सहित 23 वस्तुएं, खतरे से बाहर

मरीज के पेट से निकले आरी, सूजा, पेन, तिल्ली, रबड़, बाल सहित 23 वस्तुएं, खतरे से बाहर

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-17 08:25 GMT
मरीज के पेट से निकले आरी, सूजा, पेन, तिल्ली, रबड़, बाल सहित 23 वस्तुएं, खतरे से बाहर

डिजिटल डेस्क,छतरपुर । पेट दर्द की शिकायत को लेकर निजी अस्पताल में भर्ती हुए मरीज योगेश ठाकुर का जब डॉक्टर ने सिटी स्कैन व  एक्स-रे किया तो वे हतप्रभ रह गए। उसके पेट में कई लोहे की वस्तुएं समझ में आ रहीं थीं। जब डॉक्टर ने मरीज से पूछा तब पता चला कि वह लोहे की वस्तुएं खाने का आदी है। इसके बाद मंगलवार को 6 घंटे तक चले ऑपरेशन के दौरान योगेश के पेट से लोहे के तार, सूजा, आरी ब्लेड, पेन, रबड़ सहित 23 वस्तुएं निकली हैं।

परिजनों को यकीन नहीं हुआ 

ऑपरेशन को अंजाम देने वाले डा. एमपीएन खरे ने बताया कि ईशानगर क्षेत्र का निवासी योगेश ठाकुर उम्र 23 पिता स्व. कपूर सिंह पेट दर्द की शिकायत लेकर आया था। मरीज के परिजनों ने बताया कि एक माह पहले योगेश ने उन्हेें बताया था कि उसने आरी ब्लेड खा ली है, तो परिजनों को यकीन नहीं हुआ कि कोई आरी ब्लेड कैसे खा सकता है। इसके बाद डॉक्टर खरे ने युवक का एक्सरे व सिटी स्कैन दोनो करवाए तो उसमे बड़ी संख्या में अनेक वस्तुएं स्पष्ट समझ में आ रही थीं। इसके बाद मंगलवार को 6 घंटे चले ऑपरेशन में इन सभी वस्तुओं को बाहर निकाला गया। सर्जन डॉ. एम पी एन खरे ने बताया कि उनकी  जिंदगी का पहला ऑपरेशन है, जिसमे इस प्रकार की चीजें निकली हैं, इसके पहले भी ऐसे कई ऑपरेशन किए हैं, जिसमे बाल आदि निकलते थे। लेकिन यह ऑपरेशन आश्चर्यचकित करता है। निश्चेतना विशेषज्ञ डा. अरविंद शुक्ला ने बताया कि 33 साल के कॅरियर में पहली बार ऐसा मरीज देखा है। डॉक्टर मरीज के पेट से एक के बाद एक वस्तुएं निकाल रहे थे, हम चकित थे। 

शुक्र है कि सूजा या आरी दिल में नहीं घुसी

सर्जन डा. एमपीएन खरे के अनुसार युवक योगेश अतिथि शिक्षक था। उसने 6 माह पहले रबड़ खाई थी। इसके बाद वह एक-एक कर अनेक वस्तुएं खाने लगा। उसे असली तकलीफ एक माह पहले से शुरु हुई जब आरी खा ली। ईश्वर का शुक्र है कि इतनी खतरनाक वस्तुओं का सेवन करने के बाद भी इन वस्तुओं ने हार्ट या अन्य आर्गन को नुकसान नहीं पहुंचाया। इनमे से अनेक वस्तुएं पेट में व कुछेक उससे नीचे भी पहुंच गईं थीं। डॉ. खरे ने इस ऑपरेशन का श्रेय भी निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. अरविंद शुक्ला को दिया है। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है, जब ऑपरेशन के दौरान बेहोशी देने वाला चिकित्सक अच्छा हो। डॉक्टर के अनुसार फिलहाल मरीज एनेस्थिशिया दिए जाने की वजह से बात नहीं कर रहा है। उसकी हालत स्टेबल है।
 

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