बायोमेट्रिक्स के कारण एक महीने में 12% केस रिजेक्ट, मरीज परेशान

बच्चों और बुजुर्गाें के लिए फिंगरप्रिंट स्कैनिंग बनी समस्या बायोमेट्रिक्स के कारण एक महीने में 12% केस रिजेक्ट, मरीज परेशान

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-13 12:12 GMT
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डिजिटल डेस्क,जबलपुर। गरीब मरीजों को बेहतर और नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई आयुष्मान योजना का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुँच रहा है। ऐसा नहीं है कि अस्पताल आयुष्मान के तहत इलाज नहीं देना चाह रहे, बल्कि आयुष्मान कार्ड से जुड़ी तकनीकी समस्याओं के चलते ऐसा हो रहा है। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में ही बीते माह भर्ती होने वाले आयुष्मान कार्ड धारी कुल मरीजों में 12% मरीजों को इस योजना का लाभ नहीं मिला। 24 जनवरी से 24 फरवरी के बीच 2 हजार 400 केस में से 288 के क्लेम रिजेक्ट हो गए।

जिसकी सबसे बड़ी वजह बाॅयोमेट्रिक्स के रूप में सामने आई है। फिंगरप्रिंट वेरिफिकेशन न होने के चलते सबसे ज्यादा केस रिजेक्ट हो रहे हैं। इसमें बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके अलावा आधार कार्ड और समग्र आईडी में डेटा मिसमैच होने के चलते भी करीब 75% मरीजों के आयुष्मान कार्ड नहीं बन पाते। इस स्थिति में मरीजों को शासकीय स्तर पर उपलब्ध इलाज ही मिल पाता है। इमरजेंसी केस में मरीज को लाभ नहीं मिल पाता। मेडिकल में 100 में से 75 मरीजों के कार्ड इसी समस्या के चलते नहीं बन पाते। अधिकारियों की माँग है इसके लिए एक पोर्टल बनाया जाए अथवा कॉलेज में ही एक काउंटर बनाया जाए, जहाँ मरीज इस समस्या का समाधान जल्द हासिल कर सकें। कार्ड बनने के लिए हितग्राही के पास समग्र आईडी, आधारकार्ड, कृषक खाद्यान्न पर्ची और बीपीएल कार्ड जैसे दस्तावेज होने जरूरी हैं। समस्या तब आती है जब इनमें नाम, सरनेम, पता और जन्मतिथि आदि का डेटा मिसमैच होता है।

ऐसे समझें पूरी प्रक्रिया

योजना के तहत इलाज मिलने की प्रक्रिया दो हिस्सों में होती है। पहला बेनिफिशियरी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (बीआईएस)और दूसरा ट्रान्जेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस)। पहली प्रक्रिया पंजीयन की है। कार्ड पहले से है तो ऑनलाइन क्रॉस चैक किया जाता है और अगर नहीं है तो समग्र आईडी और आधार कार्ड का डाटा मैच करने के बाद कार्ड के लिए एप्लाई किया जाता है। फिंगरप्रिंट लेना जरूरी है। किन्हीं कारणों से अगर फिंगरप्रिंट नहीं आ रहे तो ओटीपी पंजीयन भी एक विकल्प है।

दूसरी प्रक्रिया के अंतर्गत जब मरीज भर्ती हो जाता है, तब वार्ड में आयुष्मान मित्र विजिट करते हैं। इन्वेस्टिगेशन तैयार किया जाता है। जब मरीज डिस्चार्ज होता है तब टीएमएस की प्रक्रिया शुरू होती है। यहाँ भी मरीज का फिंगरप्रिंट लिया जाता है, प्रिंट मैच न होने पर क्लेम रिजेक्ट हो जाता है।

बायोमेट्रिक से जुड़ी समस्या में सुधार किए जाने की आवश्यकता है। साथ ही समग्र आईडी और आधारकार्ड में डेटा मिसमैच की समस्या दूर करने एक काउंटर अस्पताल में बनाया जाना चाहिए।
डॉ. केके गौर, कोऑर्डिनेटर, आयुष्मान, मेडिकल कॉलेज 

बायोमेट्रिक्स के मेंडेटरी होने के बाद क्लेम रिजेक्ट हो रहे हैं। मरीजों काे लाभ नहीं मिल पा रहा है। योजना का लाभ हर जरूरतमंद को मिलना चाहिए, इसलिए कुछ तकनीकी सुधारों की जरूरत है।
डॉ. परवेज सिद्दकी, अध्यक्ष, आयुष्मान क्रियान्वयन समिति, मेडिकल कॉलेज  

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