जातीय संघर्ष और कानून व्यवस्था के चरमराने का नतीजा है मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बरता-चतुर्वेदी
- चतुर्वेदी का आरोप
- जातीय संघर्ष और कानून व्यवस्था के चरमराने का नतीजा
- मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बरता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. पिछले दो महीने से भी अधिक समय से हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी के वीडियों ने सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। मानसून सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और वामदलों सहित सभी विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद के कामकाज को स्थगित करके पहले मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की।
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने नियम 267 के तहत दिए नोटिस में मणिपुर में महिला सुरक्षा की चिंताजनक स्थिति, महिलाओं को नग्न घुमाने और बलात्कार जैसी निंदनीय घटनाओं के संबंध में तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामले पर विधायी कार्य स्थगित करके चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई निंदनीय घटनाएं जातीय संघर्ष और कानून व्यवस्था के चरमराने के परिणामस्वरूप हुई है। चतुर्वेदी ने कहा कि यह अत्त निंदनीय और शर्मनाक है कि 21वीं सदी में भी एक महिला के साथ इस तरह की बर्बरता की जाती है। उन्होंने सरकार पर इस मामले पर चर्चा से बचने का आरोप लगाया।