यात्रीगण ध्यान दें!: 5 साल में सिर्फ डेढ़ किलोमीटर प्रति घंटा बढ़ी ट्रेन की रफ्तार
- एक्सप्रेस व सामान्य ट्रेनों की स्पीड जस की तस
- एक्सप्रेस ट्रेनें 1 हजार किमी पहुंचने में दूरंतो ट्रेन से साढ़े 7 घंटे ज्यादा लगा रहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, सुजीत ठाकुर| रेलवे ने पिछले 5 साल में पटरियों की ताबड़तोड़ मरम्मत की, नई लाइनें बिछाईं, ऑटोमेटिक सिग्नल लगाए और तमाम तकनीकी काम भी किए। लेकिन, ट्रेनों की औसत रफ्तार डेढ़ किमी/घंटा बढ़ पाई है। सैकड़ों ट्रेनें तो ऐसी हैं, जिनकी औसत रफ्तार अब तक 50 किमी/घंटा भी नहीं पहुंच पाई है। मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की बात करें तो 1000 किमी की दूरी तय करने में लगभग 20 घंटे लग रहे हैं। जबकि, सामान्य ट्रेन को 35 घंटे और मालगाड़ी को लगभग 43 घंटे लग रहे हैं। हालांकि, सुपरफास्ट ट्रेनों, राजधानी, शताब्दी, वंदे भारत, दूरंतो, तेजस जैसी विशेष ट्रेनों की औसत रफ्तार अन्य ट्रेनों के मुकाबले काफी बेहतर है। इसमें पहले 5 साल में सुधार हुआ है।
एक्सप्रेस ट्रेनें 1 हजार किमी पहुंचने में दूरंतो ट्रेन से साढ़े 7 घंटे ज्यादा लगा रहीं
रेलवे बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2017-18 में मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत रफ्तार 50.3 किमी/घंटा थी। यह नवंबर 2023 तक 51.1 किमी/प्रति घंटा हो गई। यानी सिर्फ 0.8 किमी/घंटा बढ़ी। सामान्य ट्रेनों की रफ्तार इसी अवधि में 1.3 किमी/घंटा बढ़कर 35.1 किमी/घटा हो गई। वहीं, मालगाड़ी की औसत रफ्तार अब 23.6 किमी/घंटा हो गई। इसमें सिर्फ 0.3 किमी/घंटा का सुधार हुआ।
वंदे भारत की औसत गति 81.38, राजधानी की 71, शताब्दी की 72, दूरंतो की 69 व तेजस की 75 किमी/घंटा है। यानी 1000 किमी के सफर में मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों को 20 घंटे का समय लगता है तो वंदे भारत ट्रेन 12.28 घंटे में ही इतनी दूरी तय कर लेती है।