वेस्ट टू वर्थ पर 8वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन: लीनियर इकोनॉमी से सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ने की जरूरत - पुरी
- कचरे का आर्थिक व रणनीतिक प्रभाव भी जबर्दस्त
- सर्कुलर इकोनॉमी एक विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत : चौबे
- 8वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. केन्द्रीय पेट्रोलियम और शहरी व आवास मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपशिष्ट प्रबंधन के विभिन्न आयामों में सर्वोत्तम प्रथाओं को समझने और आदान-प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। ‘वेस्ट टू वर्थ’ पर 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम वेस्ट टू वर्थ से मूल्यवान चीजों की ओर बढ़ें, लीनियर इकोनॉमी को सर्कुलर इकोनॉमी में बदलना और उद्योग, प्रौद्योगिकी भागीदारों, अपशिष्ट प्रबंधन कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच भागीदारी की भावना पैदा करें।
सर्कुलर इकोनॉमी एक विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत : चौबे
इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यावरण व वन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि सर्कुलर इकोनॉमी अब किसी भी देश के लिए एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है। उन्होंने सर्कुलर इकोनॉमी पर सीआईआई नेशनल टास्क फोर्स के प्रयासों की सराहना की क्योंकि यह एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता है, जहां राष्ट्रीय संसाधनों को हमारी राष्ट्रीय समृद्धि के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता दी जाती है।
‘कचरे का आर्थिक व रणनीतिक प्रभाव भी जबर्दस्त’
‘वेस्ट टू वर्थ-2023’ पर सीआईआई टास्क फोर्स के अध्यक्ष और री सस्टेनेबिटी के सीईओ मसूद मलिक ने नेशनल सर्कुलर इकोनॉमी फ्रेमवर्क (एनसीसईएफ) के अनावरण अवसर पर कहा कि कचरा अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि इसके महत्वपूर्ण आर्थिक, संसाधन सुरक्षा और रणनीतिक प्रभाव हैं। जी-20 विचारविमर्श के परिणामों में से एक यह अहसास है कि एक टिकाऊ, समावेशी और लचीले भारत के निर्माण के लिए सर्कुलरिटी मुख्य रणनीतियों में से एक होनी चाहिए। उन्होंने वेस्ट टू वर्थ प्रबंधन में स्थिरता की जरूरत पर जोर दिया।