सलाह: औपनिवेशिक कानूनों की विरासत ग्लाेबल साउथ के देशों के लिए बोझिल - उपराष्ट्रपति

  • ग्लोबल साउथ देश भारत की तरह औपनिवेशिक कानूनों की करें समीक्षा
  • औपनिवेशिक कानूनों की है विरासत

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-27 14:10 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि औपनिवेशिक कानूनों की विरासत ग्लोबल साउथ के देशों में कमजोर वर्गों के लिए अत्यधिक बोझिल रही है। इन कानूनों को स्थानीय आबादी के लिए बहुत कठोर, दमनकारी और शोषणकारी बताते हुए उन्होंने कहा कि समय आ गया है, जब ग्लोबल साउथ देशों को भारत के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए और पुराने औपनिवेशिक कानूनों की समीक्षा करने पर विचार करना चाहिए, जो स्थानीय आबादी के खिलाफ पूर्वाग्रह को कायम रखते हैं।

श्री धनखड़ ने यह बात ‘कमजोर लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता तक पहुंच सुनिश्चित करना ग्लोबल साउथ में चुनौतियां और अवसर’ विषय पर पहले क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हए कही। उन्होंने कहा कि भारत पुराने कानूनों की समीक्षा करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने सुझाव दिया कि ग्लोबल साउथ के देशों के लिए अच्छा होगा कि वे इन क्षेत्रों में भारत द्वारा की गई कार्रवाई का बारीकी से अध्ययन करें और उन्हें उपयुक्त रूप से अनुकूलित करने के बाद अपने देशों में लागू करें। यह कहते हुए कि भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के लोकाचार को अब जमीनी हकीकत में बदल दिया गया है, उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि ग्लोबल साउथ का उदय दुनिया के लिए सबसे बड़ी स्थिर शक्ति का गठन करेगा और यह दुनिया के विकास पथ को जन्म देगा।

Tags:    

Similar News