कमंडल के बाद मंडल दांव: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के हैं सियासी मायने, भाजपा की उम्मीदें बढ़ी
- जाति जनगणना की धार कुंद करने की कोशिश
- कमंडल के बाद मंडल दांव से भाजपा की उम्मीदें बढ़ी
- सत्ता में आने पर अपनी ही मांग भूल गए : शाह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, अजीत कुमार। मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पुरोधा जननायक कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ देकर लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा सियासी दांव चल दिया है। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से हिंदुत्व का बड़ा कार्ड चलने के अगले ही दिन कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा से विपक्ष की सियासी राह मुश्किल हो सकती है। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देना भाजपा की दूरगामी रणनीति मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक संजय राय कहते हैं कि कमंडल के बाद मंडल का दांव चलकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2024 में बिहार में बड़ी जीत का सपना देख रहे जदयू और राजद की नींद उड़ा दी है। दरअसल 1988 में कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद से ही उन्हें भारत रत्न देने की मांग उठती रही है। लेकिन तब से अब तक किसी भी प्रधानमंत्री ने इस ओर गौर नहीं किया। वह भी तब जब खुद को कर्पूरी का शिष्य बताने वाले लालू यादव और नीतीश कुमार कई सरकारों में वरिष्ठ मंत्री रहे।
सत्ता में आने पर अपनी ही मांग भूल गए : शाह
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग करने वाले नेता सत्ता में आने के बाद यह मांग ही भूल गए। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को नरेन्द्र मोदी ने ही वह सम्मान दिया, जिसकी मांग वर्षों से की जाती रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने भी लालू यादव से पूछा कि जब वह केन्द्र की सरकार में थे, तब उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न क्यों नहीं दिलवाया? हालांकि राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सत्ताधारी दल को घेरते हुए पूछा कि भाजपा को 9 साल तक कर्पूरी क्यों याद नहीं आए?
जाति जनगणना की धार कुंद करने की कोशिश
माना जा रहा है कि मोदी के इस दांव से जाति जनगणना के माध्यम से पिछड़े मतदाताओं को गोलबंद करने की लालू-नीतीश की कोशिश को झटका लगेगा। इस मसले को भुनाने की कोशिश के तहत आज विज्ञान भवन में कर्पूरी जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। राजनीतक जानकार मानते हैं कि भारत रत्न की घोषणा से भाजपा को न केवल बिहार, बल्कि देश भर के पिछड़ों और अति पिछड़ों में सियासी तौर पर फायदा मिल सकता है।
बिहार की सियासत में खलबली
भाजपा के इस दांव ने बिहार की राजनीति में हलचल तेज कर दी है। महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पहले से जारी रार के बीच सरकार की इस घोषणा ने बिहार में सियासी कयासबाजी को और बढ़ा दिया है। इसका स्पष्ट संकेत आज पटना में कर्पूरी ठाकुर की जन्म जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मिला, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कर्पूरी के बहाने लालू यादव सहित परिवारवादी नेताओं पर निशाना साधा। नीतीश ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया। नीतीश ने खुद को कर्पूरी का अनुयायी बताते हुए कहा कि उन्होंने भी कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया। माना जा रहा है कि नीतीश का यह बयान जदयू की राजद से दूरी बढ़ने का संकेत है।