गन्ने की एफआरपी 10 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बढ़ाने को मंजूरी

  • एफआरपी में 30 रुपये तक करनी चाहिए थी वृद्धि
  • 10 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बढ़ाने को मंजूरी
  • गन्ने की एफआरपी बढ़ी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-28 14:35 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार नेगन्ने की एफआरपी यानी उचित और लाभकारी मूल्य 10 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बढ़ाने को मंजूरीदे दी है। इस फैसले के बाद सीजन 2023-24 के लिए गन्ने की एफआरपी प्रति क्विंटल 315 रुपये हो गई है। इसके अलावा सरकार ने 3.68 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के साथ सल्पर लेपित यूरिया सब्सिडी योजना में तीनव र्षों का विस्तार किया है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमडल की बैठक के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल के अब तक के उच्चतम उचित और लाभकारी मूल्य को मंजूरी दी है। उन्होंने दावा किया कि इस निर्णय से 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि पिछले 9 साल में सरकार ने गन्ने की एफआरपी में 105 रूपये की बढोतरी की है।

बढी हुई एफआरपी नए गन्ना सत्र के लिए लागू होगी, जो 1 अक्टूबर 2023 से 30 सितंबर 2024 तक होगा। साल 2021 में एफआरपी में सिर्फ 5 रुपये की वृद्धि करके इसे 290 रुपये किया गया था। इसके बाद 2022 में इसमें 15 रुपये की बढ़ोतरी की गई। अब इसमें 10 रुपये की बढोतरी की गई। हालांकि, किसान नेता इस बढोतरी को ऊंट के मुंह में जीरा करार दे रहे है।

एफआरपी में 30 रुपये तक करनी चाहिए थी वृद्धि

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख एवं पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि सरकार का गन्ने की एफआरपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढोतरी करने के पीछे का तर्क समझ से परे है। पिछले एक साल में रासायनिक खाद की कीमतों में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अगर पिछले पांच साल की बात करें तो खादों की कीमतों में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन गन्ने की एफआरपी में सिर्फ 3.15 प्रतिशत ही बढ़ोतरी हुई। इसलिए चालू सीजन के लिए 10 रुपये की बढ़ोतरी करके किसानों को कोई लाभ पहुंचने वाला नहीं है। इतना पैसा तो लागत और देनदारी में ही चला जाता है। अगर सरकार ने किसानों का हित देखते हुए यह बढोतरी की है तो एफआरपी में कम से कम 30 रुपये तक की वृद्धि करनी चाहिए थी।

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