दहेज उत्पीड़न व दुष्कर्म का आरोप क्रूरता के समान - कोर्ट

किसी भी विवाह का आधार सहवास और दांपत्य संबंध होता

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-04 11:56 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, एजेंसी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि महिला द्वारा पति के परिवार पर दहेज उत्पीड़न और दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाना ‘घोर क्रूरता’ के समान है और इसे माफ नहीं किया जा सकता। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि किसी भी विवाह का आधार सहवास और दांपत्य संबंध होता है और एक जोड़े को एक-दूसरे के साथ रहने से वंचित किया जाना साबित करता है कि विवाह चल नहीं सकता और वैवाहिक रिश्ते से इस तरह वंचित करना अत्यधिक क्रूरता का कार्य है। अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला की अपील खारिज करते हुए की जिसमें परिवारिक अदालत द्वारा पति से अलग रहने को उसके प्रति क्रूरता मानते हुए तलाक की अनुमति देने को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीला बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में निर्विवाद रूप से दोनों पक्ष 2014 से अलग-अलग रह रहे हैं, जो साबित करता है कि वे वैवाहिक संबंध बनाए रखने में असमर्थ हैं, जिससे एक-दूसरे को आपसी सहयोग और वैवाहिक रिश्ते से वंचित किया जा रहा है। लगभग नौ वर्षों तक इस तरह अलग रहना अत्यधिक मानसिक क्रूरता का उदाहरण है, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता के आधार पर वैवाहिक संबंध तत्काल विच्छेद करने की मांग की गई है। पीठ ने कहा कि पत्नी द्वारा पति के खिलाफ दायर की गई झूठी शिकायतें पुरुष के खिलाफ मानसिक क्रूरता है। अदालत ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि प्रतिवादी (पति) के परिवार के सदस्यों के खिलाफ न केवल दहेज उत्पीड़न बल्कि बलात्कार के गंभीर आरोप लगाए गए, जो झूठे पाये गये। यह अत्यधिक क्रूरता का कार्य है जिसके लिए कोई माफी नहीं हो सकती।’’

झाबुआ में भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व जिलाधिकारी, पांच अधिकारी, प्रिंटिंग कंपनी के मालिक दोषी करार

झाबुआ (मप्र) मध्य प्रदेश में झाबुआ की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में एक तत्कालीन जिलाधिकारी, पांच अधिकारियों एवं एक प्रिंटिंग कंपनी के मालिक सहित कुल सात लोगों को दोषी ठहराया है। यह जानकारी एक अधिकारी ने रविवार को दी। मामले में जगदीश शर्मा (तत्कालीन जिलाधिकारी झाबुआ), जगमोहन सिंह धुर्वे (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत झाबुआ), नाथु सिंह तंवर (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तत्कालीन परियोजना अधिकारी तकनीकी), अमित दुबे (तत्कालीन जिला समन्वयक), सदाशिव डाबर (तत्कालीन वरिष्ठ लेखाधिकारी, जिला पंचायत झाबुआ) एवं आशीष कदम (जिला पंचायत झाबुआ में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तत्कालीन लेखाधिकारी) को दोषी ठहराया गया। विशेष न्यायाधीश राजेन्द्र शर्मा (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने अपने पद का दुरुपयोग करने व भ्रष्टाचार के मामले में इन सभी अधिकारियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं और भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 120 (बी) (अपराधों की आपराधिक साजिश से संबंधित धारा) के तहत चार-चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5,000-5,000 रुपए के अर्थदंड तथा भादंसं की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास और चार-चार हजार रूपये जुर्माने से दंडित किया है।

झाबुआ में भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व जिलाधिकारी, पांच अधिकारी, प्रिंटिंग कंपनी के मालिक दोषी करार

झाबुआ (मप्र) मध्य प्रदेश में झाबुआ की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में एक तत्कालीन जिलाधिकारी, पांच अधिकारियों एवं एक प्रिंटिंग कंपनी के मालिक सहित कुल सात लोगों को दोषी ठहराया है। यह जानकारी एक अधिकारी ने रविवार को दी। मामले में जगदीश शर्मा (तत्कालीन जिलाधिकारी झाबुआ), जगमोहन सिंह धुर्वे (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत झाबुआ), नाथु सिंह तंवर (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तत्कालीन परियोजना अधिकारी तकनीकी), अमित दुबे (तत्कालीन जिला समन्वयक), सदाशिव डाबर (तत्कालीन वरिष्ठ लेखाधिकारी, जिला पंचायत झाबुआ) एवं आशीष कदम (जिला पंचायत झाबुआ में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तत्कालीन लेखाधिकारी) को दोषी ठहराया गया। विशेष न्यायाधीश राजेन्द्र शर्मा (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने अपने पद का दुरुपयोग करने व भ्रष्टाचार के मामले में इन सभी अधिकारियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं और भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 120 (बी) (अपराधों की आपराधिक साजिश से संबंधित धारा) के तहत चार-चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5,000-5,000 रुपए के अर्थदंड तथा भादंसं की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास और चार-चार हजार रूपये जुर्माने से दंडित किया है।

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