शोध में खुलासा: बालू को बनाया जा सकता है पानी शुद्ध करने वाले जीवाणुओं का आधार, सौ फीसदी कारगर

  • आईआईटी बॉम्बे के बायोफिल्टर संबंधित नए शोध में खुलासा
  • बेहद सस्ती और सुलभ है तकनीक
  • औद्योगिक संयंत्रों से निकले गंदे पानी का होगा समाधान
  • सौ फीसदी साफ हुए हानिकारक यौगिक

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-16 00:30 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. सिर्फ बालू की मदद से गंदे पानी के हानिकारक यौगिकों को साफ किया जा सकता है आईआईटी बॉम्बे के वैज्ञानिकों के शोध में यह खुलासा हुआ है। इस बेहद सस्ती और सुलभ तकनीक का इस्तेमाल दुनियाभर के औद्योगिक संयंत्रों की परेशानी का आसान समाधान करता है। दरअसल कच्चे तेल को गैसोलीन और डीजल में परिवर्तित करने वाली रिफाइनरीज से भारी मात्रा में अपशिष्ट जल निकलता है। इस पानी में नाइट्रोजन युक्त यौगिकों के साथ हानिकारक कार्बन और अकार्बनिक प्रदूषक भी होते हैं। ऐसे में इस पानी को पर्यावरण में सुरक्षित रुप से छोड़ने के लिए शुद्धीकरण के कई चरणों से गुजरना होता है। यह प्रक्रिया बेहद खर्चीली है। इसीलिए वैज्ञानिक पानी साफ करने का ऐसा तरीका खोज रहे हैं जो पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित होने के साथ आर्थिक रुप से भी व्यवहार्य हो। आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ता भी इसका हल खोजने की कोशिश में जुटे हैं। इसी कड़ी में पर्यावरण विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग की प्राध्यापिका सुपर्णा मुखर्जी की अगुआई में शोधकर्ताओं ने बालू के इस्तेमाल से गंदा पानी साफ करने की कोशिश की तो यह तरीका बेहद कारगर रहा।

मुखर्जी ने बताया कि हमने 45 सेंटीमीटर लंबी और 2 सेंटीमीटर व्यास वाले एक एक्रेलिक बेलन में 15 सेंटीमीटर गहराई तक शुद्ध बालू भर दिया। इसके बाद विषैले रसायन निकाले हुए पानी को बालू से 1 से 10 मिलीलीटर प्रति मिनट की दर से निकाला। इस दौरान बालू के कणों पर जीवाणुओं की एक झिल्ली बन गई। जीवाणु अपनी प्रतिकृति भी बनाते हैं। ये जीवाणु गंदे पानी में मौजूद कार्बनिक प्रदूषकों का भक्षण कर लेते हैं। शोधकर्ताओं ने जब 12 दफा पानी को बालू से गुजारा तो जांच में उसके जैविक कार्बन में 55 से 62 फीसदी तक की कमी देखी गई।

सौ फीसदी साफ हुए हानिकारक यौगिक

शोध से जुड़े आईआईटी बॉम्बे के पूर्व पीएचडी छात्र डॉ. प्रशांत सिन्हा ने कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान हमने पाया कि पानी से हानिकारक यौगिक 100 फीसदी तक साफ हो गए हैं। प्रक्रिया में हमने बायोफिल्टर के सूक्ष्मजीव समुदाय का अध्ययन किया तो ज्ञात हुआ कि प्रोटियोबैक्टीरिया समूह का जीवाणु इस प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभा रहा था जो यह समूह सजीवों के लिए हानिकारक पॉलीन्यूक्लियर एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे जटिल कार्बनिक यौगिकों को तोड़ने की क्षमता रखता है।

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