नागपुर: सियासी हलचल तेज, तीन बड़े नेताओं के अपने-अपने बोल, फडणवीस से मिले संघ पदाधिकारी
- जाति-पाती की राजनीति जीती
- बावनकुले ने जनता को भ्रमित करने का अारोप लगाया
- सामने आई नाराजी - मैं उम्मीदवार रहता तो रामटेक जीतते : तुमाने
- चर्चा को लेकर रखी गोपनीयता
डिजिटल डेस्क, नागपुर. उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद गुरुवार को शहर में पहुंचे देवेंद्र फडणवीस से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भेंट की। करीब एक घंटे तक चली चर्चा को गोपनीय रखा गया। चर्चा के बाद फडणवीस दिल्ली के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि संघ ने पदाधिकारियों के माध्यम से फडणवीस को पद पर बने रहने का सुझाव दिया है। इसके अलावा कुछ मामलों में फडणवीस के माध्यम से भाजपा के शीर्ष नेताओं तक संदेश भिजवाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव में राज्य में महायुति व विशेषकर भाजपा की पराजय से संघ व भाजपा को झटका लगा है। राजनीतिक मामले में कई तर्क व्यक्त किए जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा व फडणवीस को लेकर संघ में नाराजगी थी। महायुति में राकांपा के अजित पवार को शामिल करने से संघ सहमत नहीं था। विविध संकेतों के बाद भी संघ की नहीं सुनी गई। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा की आत्मनिर्भरता के संबंध में वक्तव्य देते हुए कहा कि अब भाजपा को राजनीति के लिए संघ पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। मराठवाड़ा में संघ की पसंद के नेता का उम्मीदवारी नहीं देने से भी कुछ संघ पदाधिकारी नाराज थे। सूत्र के अनुसार चुनाव के दौरान ही संघ की ओर से कहा दिया गया था कि अति उत्साह महाराष्ट्र में भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है। फिलहाल नागपुर में संघ का तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग चल रहा है। 10 जून को वर्ग का समापन होगा। उसके लिए संघ के सरसंघचालक सहित कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी नागपुर में ही हैं। फडणवीस के नागपुर आने की सूचना पर संघ पदाधिकारियों ने त्वरित ही फडणवीस से भेंट की तैयारी की। फडणवीस दोपहर 12.30 बजे विमानतल पर पहुंचे। उनके साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले भी थे। विमानतल से फडणवीस सीधे अपने धरमपेठ स्थित आवास पर पहुंचे। वहां संघ के कुछ पदाधिकारी पहले से ही उपस्थित थे। चर्चा के बाद वे पदाधिकारी रेशमबाग स्थित हेडगेवार भवन के लिए रवाना हो गए।
बावनकुले ने जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया
राज्य में लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर भाजपा ने महाविकास आघाड़ी पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है- महाराष्ट्र में जाति पाती की राजनीति जीती है। संविधान बदलने का झूठा प्रचार करते हुए मतदाताओं को भ्रमित किया गया। महाविकास आघाड़ी इस बार तो सफल हो गई, लेकिन विधानसभा चुनाव में उसका भ्रम टूट जाएगा। एक चुनाव हारने से फर्क नहीं पड़ता है। हम फिर से काम करेंगे और महाराष्ट्र में महायुति की सत्ता स्थापित करेंगे। गुुरुवार को बावनकुले ने पत्रकारों से चर्चा की। उन्होंने कहा-जाति पाती की राजनीति ने राज्य में भाजपा का नुकसान किया। विरोधियों ने झूठे दावों के साथ संविधान बदलने का भय फैलाया गया। लेकिन जल्द ही लोग जाति पाती की राजनीति से दूर होंगे। हम फिर से सत्ता स्थापित करेंगे। मोदी को पराजित करने सभी दल एकत्र आए थे। इंडिया आघाड़ी बनाई गई। झूठे प्रचार पर जोर दिया गया। झूठे प्रचार से जनता एक बार भ्रमित हो गई, लेकिन बार बार भ्रमित नहीं होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में एनडीए जीता है। एनडीए को मिला मतदान प्रतिशत सर्वाधिक है। विरोधक ईवीएम पर सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन इस बार कुछ स्थानों पर वे जीते तो सवाल नहीं उठा रहे है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की पेशकश के प्रश्न पर बावनकुले ने कहा -फडणवीस ने राज्य के विकास व संगठन के लिए बहुत काम किए हैं। जाति पाती की राजनीति से वे दु:खी हुए हैं। भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं ने निवेदन किया है कि वे किसी पद से इस्तीफा न दें।
सामने आई नाराजी - मैं उम्मीदवार रहता तो रामटेक जीतते : तुमाने
लोकसभा चुनाव में राज्य में महायुति को झटका लगा है,लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व की शिवसेना के नेताओं का उत्साह बढ़ा है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही राज्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल के अलावा सत्ता समायोजन के निर्णय लिए जाएंगे। लिहाजा शिवसेना शिंदे गुट के कुछ नेताओं में राजनीतिक पुनर्वसन की स्पर्धा के आसार हैं। चुनाव में उम्मीदवारी पाने से चुके रामटेक के पूर्व सांसद कृपाल तुमाने व यवतमाल की पूर्व सांसद भावना गवली ने गुरुवार को अलग अलग माध्यम से नाराजगी व्यक्त की है। खबर है कि दोनों नेताओं को तत्काल मुंबई बुलाया गया है। तुमाने ने कहा है कि उम्मीदवार तय करने में विलंब व उम्मीदवार बदलने से नुकसान हुआ है। मुझे उम्मीदवारी देते तो रामटेक में जीत जाते। नाशिक, ठाणे, यवतमाल व अमरावती में भी उम्मीदवार बदला गया। यवतमाल में हेमंत पाटील की पत्नी जयश्री पाटील को समय पर उम्मीदवारी दी गई। चुनाव में जयश्री की मतदाताओं के बीच पहचान भी नहीं बन पाई। हेमंत पाटील हिंगाेली से चुनाव लड़ते तो जीत जाते। आनंदराव अडसूल को भी उम्मीदवारी मिलती तो पार्टी को लाभ होता। राज्य में 13 से 14 सीटें आसानी से जीत जाते। तुमाने, रामटेक से 2014 व 2019 में चुनाव जीते थे। यवतमाल में 1998 से 2019 तक लगातार चुनाव जीतीं भावना गवली को इस बार उम्मीदवारी नहीं दी गई। इस पर गवली ने कहा है-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुझे उम्मीदवार बनाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उन पर दबाव था। उन्हें एक नेता ने स्क्रीप्ट लिखकर दी। निराधार सर्वे की बातें हुईं। इसके अलावा भी कई फैक्टर थे, जिससे मुझे उम्मीदवारी नहीं दी गई। विदर्भ में शिवसेना भले ही संगठन मामले में मजबूत नहीं रही, लेकिन यहां लोकसभा चुनाव में शिवसेना चुनाव जीतती रही है। 2019 में विदर्भ में महायुति ने शिवसेना को 4 सीट पर चुनाव लड़ने दिया था। रामटेक में कृपाल तुमाने, यवतमाल में भावना गवली, बुलढाणा में प्रताप जाधव जीते थे। अमरावती में आनंदराव अडसूल पराजित हो गए थे। इस बार जाधव चुनाव जीते। गवली ने कहा है कि उम्मीदवारी रिपीट होती तो सभी सीटें जीतते।