विदर्भ विकास पर चर्चा: नागपुर को विशेष दर्जा देने फिर बहाल करें सीएनसी एक्ट
- विदर्भ में पर्यटन का मुद्दा उठा
- नागनदी को पुनर्जीवित करने प्रकल्प को गति देने की जरूरत
- अन्य जिलों को जोड़ने के लिए ब्राडगेज मेट्रो प्रस्तावित
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ विकास पर चर्चा के दौरान एक बार फिर नागपुर शहर को विशेष दर्जा देने की मांग उठी। यह मांग उठाते हुए सत्तापक्ष सदस्य व नागपुर के पूर्व महापौर प्रवीण दटके ने कहा कि मुंबई महानगरपालिका को मिले विशेष अधिनियम की तरह नागपुर महानगरपालिका क्षेत्र में भी सीएनसी एक्ट लागू था, जिसकी वजह से नागपुर को विशेष दर्जा प्राप्त था। पृथ्वीराज चव्हाण के मुख्यमंत्री बनने के बाद नागपुर में लागू सीएनसी एक्ट रद्द कर दिया गया। इसे रद्द कर महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम लागू किया गया। विशेष यह कि नागपुर में रद्द किया गया, लेकिन मुंबई महानगरपालिका में विशेष एक्ट लागू रखा गया। इस तर्ज पर नागपुर में दोबारा सीएनसी एक्ट लागू कर शहर को विशेष दर्जा दिया जाए।
नागपुर के इन मुद्दों पर जोर
दटके ने इस दौरान विदर्भ में पर्यटन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि विदर्भ में बड़े पैमाने पर वन पर्यटन है। 21 बफर जोन और 7 कोर गेट हैं। 400 से ज्यादा बाघ हैं। फिर भी हमारा पर्यटन काफी महंगा है, जबकि मध्यप्रदेश में पर्यटन सस्ता है। मध्य प्रदेश की तर्ज पर विदर्भ में पर्यटन शुल्क कम करें और सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया जाए।
शहर की नागनदी को पुनर्जीवित करने के लिए 2400 करोड़ का प्रकल्प तैयार किया गया है। इसे गति देने की जरूरत है। एनआईटी द्वारा नागनदी पर स्केटिंग रिंग बनाया है, उसे तोड़ा जाए। फुटाला के दूसरे-तीसरे फेस का काम तेज गति से बढ़ाने की जरूरत है।
नागपुर से विदर्भ के अन्य जिलों को जोड़ने के लिए ब्राडगेज मेट्रो प्रस्तावित है। इसमें केंद्र, राज्य और संबंधित विभाग मदद करेगी। इसे भी आगे बढ़ाने पर जोर देने की आवश्यकता है।
विदर्भ में जितने उद्योग है, उससे दो गुना उद्योग अकेले पुणे में है। नागपुर, अमरावती और विदर्भ के अन्य जिलों में एकात्मिक उद्योग का क्लस्टर लाना चाहिए।
विदर्भ के मुद्दे नजरअंदाज : वंजारी
चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सदस्य एड. अभिजीत वंजारी ने कहा कि सरकार ने विदर्भ के मुद्दों को नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि एक या दो दिन छोड़ दिए जाएं तो विदर्भ के किसी मद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हुई। कभी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत तो कभी प्रश्नोत्तर या अल्पकालीन चर्चा के माध्यम से विदर्भ के मुद्दे पर रखे गए, लेकिन यह चर्चा में नहीं लिए गए। विदर्भ वैधानिक मंडल पर चर्चा उपस्थित की गई, लेकिन सरकार से जो जवाब अपेक्षित था, वह नहीं मिला। कुल 10 दिन में सिर्फ 18 प्रतिशत विदर्भ के मुद्दों पर चर्चा हुई। नागपुर करार अनुसार विदर्भ के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी। उन्होंने सवाल किया कि क्या इसके लिए हम महाराष्ट्र में शामिल हुए थे? कोरोना में अधिवेशन नागपुर में नहीं हुआ। कोई भी सरकार दीर्घकाल तक नागपुर में अधिवेशन लेने की इच्छुक नजर नहीं आ रही है। किसान, कामगार, महिला सुरक्षा, कानून व्यवस्था, ओबीसी के लिए कौन से पैकेज दिए गए, यह सरकार को बताना चाहिए।