नागपुर: 240 इमारतें चिन्हित, उपराजधानी में जर्जर मकानों को लेकर उदासीन प्रशासन

मंडराता खतरा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-14 11:51 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा के अग्निशमन विभाग के सर्वेक्षण में शहर में करीब 240 जर्जर इमारतों को चिन्हित किया गया है। इनमें से करीब 41 बेहद जर्जर और खतरनाक इमारतों को ढहाया गया है, लेकिन अब भी करीब 199 जर्जर इमारतों को लेकर कोईपहल नहीं हुई है। हर साल बरसात के दौरान जर्जर इमारतों के ढ़हने से दुर्घटना की संभावना बन जाती है। प्रशासन की ओर से जर्जर इमारतों को लेकर कार्रवाई करने का दावा भी होता है, लेकिन वास्तविकता में कोई पहल नहीं हो पाती है। मनपा की ओर से कई सालों से कर विभाग से सर्वेक्षण कर जर्जर इमारतों को चिन्हित किया गया है, लेकिन इमारतों को ढहाने को लेकर कार्रवाई करने का अधिकार कर विभाग के पास नहीं है। वहीं दूसरी ओर जोन स्तर पर भी सहायक आयुक्तों को कई मर्तबा निर्देश दिया गया, लेकिन जोन स्तर पर भी पहल नहीं हो पाई। अब ऐसे में अग्निशमन विभाग की ओर से सर्वेक्षण कर जर्जर इमारतों को चिन्हित किया गया है। अग्निशमन विभाग से 41 बेहद खतरनाक इमारतों को गिराया है, लेकिन अब कानूनी अधिकार समेत अन्य विवादों में 199 इमारतों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई है।

साल 2020 में सदर इलाके में जर्जर मकान के गिरने से दो नागरिकों की जान गई थी। पिछले माह गंजीपेठ में एक जर्जर मकान का हिस्सा ढह गया था, हालांकि इस दुर्घटना में कोई भी नागरिक हताहत नहीं हुआ था। ऐसे में शहर में जर्जर इमारतों से दुर्घटना की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। जर्जर मकानों में अकसर किरायेदार और मकानमालिक के बीच उपजे विवाद के चलते प्रशासन को कार्रवाई करने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में मनपा प्रशासन से केवल नोटिस देकर कार्रवाई की खानापूर्ति कर रहे है। धरमपेठ जोन अंतर्गत 38 जर्जर इमारतों के खिलाफ कार्रवाई आरंभ की गई, लेकिन 9 इमारतों को ढहाने का मामला कानूनी पेचिदगी में फंस गया। वहीं 4 मकानमालिकों ने जर्जर इमारत घोषित करने को लेकर न्यायालय में याचिका दायर कर दी है।

जाेन इमारत संख्या

गांधीबाग 97

धरमपेठ 38

मंगलवारी 29

सतरंजीपुरा 16

धंतोली 23

लकड़गंज 15

आसीनगर 21

नेहरूनगर 3

कार्रवाई की जा रही है

बी पी चंदनखेड़े, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, मनपा के मुताबिक जर्जर इमारतों को लेकर सर्वेक्षण किया जा चुका है, इन इमारतों के मकानमालिकों को नोटिस दिया जा चुका है। अधिकतर मामलों में कानूनी विवाद के चलते दिक्कत हो रही है, लेकिन इमारतों के क्षतिग्रस्त होने से नुकसान की संभावना को देखते हुए कड़े कदम उठाएं जा रहे है।


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