बॉम्बे हाईकोर्ट: डी गैंग से जुड़े एक्सटॉर्शन रैकेट चलने के आरोपी को मिली जमानत
- बॉम्बे हाई कोर्ट से डी गैंग से जुड़े एक्सटॉर्शन रैकेट चलने के आरोपी को जमानत
- 2018 में अमेरिका से भारत किया गया था निर्वासित
- सह-अभियुक्तों ने जमानत याचिका का किया था विरोध
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने डी गैंग से जुड़े एक्सटॉर्शन रैकेट चलाने के आरोपी दानिश अली जमालुद्दीन अहमद को जमानत दे दी। उसके अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम से जुड़े होने का आरोप है। उसे कथित तौर पर दाऊद के भतीजे सोहेल कासकर का करीबी सहयोगी है। वह गुनाह माफी गवाह बन गया है। न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक की एकल पीठ ने अहमद को जमानत देते हुए कहा कि जब यह स्पष्ट है कि मुकदमे को समाप्त होने में लंबा समय लगने की संभावना है, तब उन्हें लगातार हिरासत में रखना न्याय का पूर्ण उपहास होगा। आवेदक को इस प्रकृति के मामले में उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है। जहां उसने पूरी तरह से याचिकाकर्ता की हिरासत की अवधि के साथ क्षमा की शर्तों का अनुपालन किया गया, जो अब लगभग 5 वर्ष हो गया है।
सह-अभियुक्तों ने जमानत याचिका का किया था विरोध
अहमद की जमानत याचिका का विरोध सह-अभियुक्तों की ओर से किया गया, जिसमें कहा गया कि माफी गलत तरीके से दी गई थी। अभियोजन पक्ष ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता का हवाला देते हुए और जेल के अंदर और बाहर अहमद के जीवन को खतरे का दावा करते हुए जमानत के खिलाफ दलील दी थी।अहमद ने अपनी गतिविधियों और सहयोगियों के बारे में 2022 में गवाही देते हुए क्षमा के लिए आवेदन किया। ट्रायल कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद अहमद ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
क्या था पूरा मामला
दिल्ली के व्यवसाई अहमद को 2014 में मादक पदार्थ और हथियार की तस्करी के आरोप में अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था और उसे 2018 में भारत निर्वासित किया गया था। दिसंबर 2018 में मुंबई पुलिस द्वारा चार अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किए गए अहमद पर रूस और अमेरिका में हीरा व्यापार, नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। अभियोजकों ने दावा किया कि 1995 और 2005 के बीच दुबई में रहते हुए अहमद ने अनीस इब्राहिम के लिए काम किया और मुंबई के होटल व्यवसायियों से जबरन वसूली की रकम इकट्ठा अनीस इब्राहिम तक पहुंचाया।