जबलपुर: मरीजों की सेहत नहीं सुधरने देगा ऐसा भोजन
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एप्रन, फेस और हेयर मास्क के बिना ही भोजन बना रहे कर्मचारी
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों का भोजन जिस असावधानी से गंदे फर्श पर तैयार किया जा रहा है उससे रोगियों की सेहत और भी बिगड़ने का ही खतरा मँडरा रहा है। इस दौरान संबंधित जिम्मेदार भी कभी यह देखने की जहमत नहीं उठाते हैं कि मरीजों को खाने के नाम पर क्या-क्या दिया जा रहा है। उनके द्वारा औपचारिकता करते हुए रोजाना एक चम्मच दाल को चखकर ही खाना मरीजों के बीच वितरण के लिए भेज दिया जाता है।
बिना उचित संसाधनों के बनता है भोजन
जानकारों की मानें तो किसी भी अस्पताल में जब मरीजों के लिए दाल, चावल, सब्जी एवं रोटी आदि बनाई जाती हैं उस वक्त संबंधित कर्मचारियों को प्रबंधन द्वारा एप्रन, फेस और हेयर मास्क प्रदान किया जाता है। इसके अलावा हाथों में हैंड ग्लव्ज और फर्श पर साफ दरी अथवा तिरपाल भी बिछाने के लिए दी जाती है लेकिन मेडिकल कॉलेज में ऐसा न कर फर्श में बैठकर ही कर्मचारियों द्वारा सामान्य कपड़ों में ही भोजन बनाकर बंटने के लिए भेज दिया जाता है।
ऐसी ही लापरवाही हुई थी एकलव्य विद्यालय में
जानकारों की मानें तो मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदारों की तरह ही कुछ महीनों पहले एकलव्य आदिवासी विद्यालय के जिम्मेदार भी लगातार लापरवाही बरत रहे थे। इसी कारण दो सैकड़ा से अधिक विद्यार्थी भोजन कर बीमार हुए। इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा का कहना है िक मरीजों का भोजन बनने के पूर्व सीएमओ द्वारा टेस्ट करा लिया जाता है। वहीं मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर का कहना है कि मरीजों के भोजन वितरण में उचित सावधानियाँ नहीं बरती जा रही हैं और कुछ दिनों पहले उन्हें इसकी सूचना देने पर भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया था।
चखने से परहेज करते हैं संबंधित जिम्मेदार
नियमानुसार प्रत्येक सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों के भोजन को बंटने से पूर्व उसे सर्वप्रथम वरिष्ठ अधिकारियों को स्वयं खाकर देखना चाहिए लेकिन रोजाना 48 रुपए प्रति मरीज के अनुमान से भोजन बनाने वाले कर्मचारियों द्वारा जो भोजन बनाया जाता है उसे कैजुअल्टी में मौजूद सीएमओ द्वारा महज एक चम्मच दाल चखकर ही मरीजों के बीच भेज दिया जाता है। इन हालातों में जरा सी भी असावधानी मरीजों की सेहत और भी बिगाड़ सकती है।