जबलपुर: 30 साल बाद अक्षय तृतीया पर नहीं बजेगी शहनाई
- गुरु और शुक्र तारा अस्त होने के कारण अबूझ मुहूर्त पर नहीं होंगे विवाह
- पुराणों में अक्षय तृतीया को बहुत पुण्यदायी बताया गया है और यह एक अबूझ मुहूर्त है।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बिना पंचांग देखे शुभ कार्य संपन्न किया जाने वाला अबूझ महामुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है। करीब 30 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का मुहूर्त नहीं है। हालाँकि अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने से शुभ संस्कार संपन्न होंगे। ज्योतिष विदों के अनुसार अक्षय तृतीया पर गुरु एवं शुक्र तारा अस्त रहने के कारण यह स्थिति बनी है। विवाह जैसे संस्कार के लिए गुरु और शुक्र तारा का उदय होना आवश्यक है।
दान-धर्म का मिलता है अक्षय फल- पं. रोहित दुबे, आचार्य वासुदेव शास्त्री, पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री के अनुसार हिंदू पंचांग के मुताबिक वर्ष के दूसरे महीने, वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया कहलाती है। इस तिथि पर किए गए दान-धर्म का अक्षय यानी कभी नाश न होने वाला फल व पुण्य मिलता है। इसलिए यह सनातन धर्म में दान-धर्म का अचूक काल माना गया है। इसे चिरंजीवी तिथि भी कहते हैं, क्योंकि यह तिथि 8 चिरंजीवियों में से एक भगवान परशुराम की जन्म तिथि भी है।
बन रहे शुभ योग- 10 मई शुक्रवार को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। पुराणों में अक्षय तृतीया को बहुत पुण्यदायी बताया गया है और यह एक अबूझ मुहूर्त है। इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। इस अक्षय तृतीया पर सूर्य, चंद्रमा और शनि अपनी उच्च राशि में रहेंगे, शनि के स्वराशि में होने से विशेष शुभ संयोग बन रहा है। इस बार अक्षय तृतीया पर रवि योग, धन योग, शुक्रादित्य योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व काफी बढ़ गया है।