जबलपुर: तीन माह के भीतर आपराधिक प्रकरण का करें निराकरण

  • हाईकोर्ट ने जेएमएफसी सागर देवरी को दिए निर्देश
  • अदालत को निर्देश दिए कि 3 माह के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा दायर आपराधिक प्रकरण पर निर्णय लें।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-01 11:00 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक पक्ष को सुने बिना लोक अदालत द्वारा पारित डिक्री को निरस्त कर दिया। जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी देवरी सागर की अदालत को निर्देश दिए कि 3 माह के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा दायर आपराधिक प्रकरण पर निर्णय लें।

कोर्ट ने फर्जीवाड़ा करने के आरोप में अधिवक्ता अखिलेश तिवारी के खिलाफ शिकायत को बार काउंसिल की अनुशासनात्मक समिति के समक्ष रखने और उस पर एक माह में निर्णय लेने के निर्देश भी दिए। जबलपुर निवासी राम चरण तिवारी की ओर से अधिवक्ता केके पांडेय, कौशलेश पांडेय व सिद्धार्थ पांडेय ने पक्ष रखा।

उन्होंने बताया कि कैलाश तिवारी ने देवरी स्थित खसरा नं 141 एवं 142 स्थित भूमि के सम्बन्ध में 2022 में की गई वसीयत के आधार पर याचिकाकर्ता के विरुद्ध दावा प्रस्तुत किया था। देवरी की कोर्ट ने 18 जनवरी 2021 को याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया।

प्रार्थी की ओर से एवं वादी कैलाश तिवारी दोनों पक्षकार की ओर से समझौता आवेदन प्रस्तुत किया गया। दलील दी गई कि इसमें राम चरण तिवारी के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को खड़ा कर कोर्ट में शपथ पत्र एवं बयान दर्ज हो गए।

इसके बाद 10 जुलाई 2021 को नेशनल लोक अदालत द्वारा समझौते के आधार पर वादी कैलाश तिवारी के पक्ष में डिक्री पारित कर दी गई। राजस्व अधिकारियों ने कैलाश तिवारी का नाम प्रार्थी के जगह में रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया।

इस पर तब याचिकाकर्ता ने लोक अदालत द्वारा पारित डिक्री एवं समस्त दस्तावेजों को प्राप्त करने के उपरांत हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

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