जबलपुर: अब शहर में डीजल की जगह चलेंगी इलेक्ट्रिक बसें

  • पीएम ई-बस योजना के तहत इसी साल से 100 बसें चलाने का प्लान
  • सिटी ट्रांसपोर्ट के तहत भोपाल भेजा गया प्रस्ताव, केन्द्र सरकार देगी जल्द मंजूरी
  • ग्रीन अर्बन मोबिलिटी इनिशियेटिव के तहत बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-19 08:53 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर में अभी तक सिटी ट्रांसपोर्ट सेवा में 100 सिटी बसों का संचालन किया जाता है। इनमें 55 वाइट बसें अमृत योजना की हैं तो शेष सिटी बस सेवा में लगी पुरानी बसें हैं।

ये सभी बसें डीजल हैं लेकिन अब आगे शहर में इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना है। प्रधानमंत्री ई-बस योजना के तहत शहर में साल के अंत तक संभावना है कि 100 बसें संचालित होने लगेंगी।

जबलपुर सिटी ट्रांसपोर्ट ने इसके लिए प्रपोजल भोपाल भेजा है, जहाँ से यह दिल्ली भेजा जाएगा। दिल्ली से अंतिम स्वीकृति मिलने पर इलेक्ट्रिक बसें शहर में संचालित होंगी। जानकारी के अनुसार इलेक्ट्रिक बसों के आने पर धीरे-धीरे पुरानी बसों को बंद किया जाएगा।

गौरतलब है कि शहर में हर दिन 18 से 22 हजार लोग सिटी बस सेवा से सफर करते हैं। सेवा से जुड़े सचिन विश्वकर्मा के अनुसार इलेक्ट्रिक बसों को लेकर प्रस्ताव भेज दिया गया है जाे जल्द स्वीकृत होगा।

जगह-जगह बनेंगे चार्जिंग प्वाॅइंट

शहर के अंदर जगह-जगह चार्जिंग प्वॉइंट बनाने के साथ ही शहरी क्षेत्रों में बेहतर क्लाइमेट बनाए रखने को जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करना भी ई-बस योजना में शामिल है। ग्रीन अर्बन मोबिलिटी इनिशियेटिव के तहत बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा, जिससे अगले चरण में यहाँ भी ई-बसों का संचालन आसान किया जा सके।

देश में अभी सिंगल चार्ज में 130 से 180 किलोमीटर के दायरे में चलने वाली ई-बसें तक संचालित की जा रही हैं।

कुछ इस तरह की है योजना

पीएम ई-बसों का संचालन और बस ऑपरेटर्स को भुगतान आदि की जिम्मेदारी राज्य सरकारों एवं शहरी निकायों की होगी। केंद्र की ओर से उपलब्ध धन बस संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए जरूरी संसाधन विकसित करने में खर्च किया जाएगा। इसी रकम से जरूरत पड़ने पर सब्सिडी आदि भी उपलब्ध कराने के इंतजाम किए जायेंगे।

ई-बसों के संचालन से फायदा क्या

एक्सपर्ट के अनुसार ई-बसों के संचालन से कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी और ध्वनि एवं वायु प्रदूषण अपेक्षाकृत बहुत कम हो जाएगा। इसी के साथ पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता भी कम होगी।

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जो शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है उसको प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

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