Hinganghat News: यहां पिछले तीन दशक से कांग्रेस और राकांपा को लगातार नकार रहे हैं वोटर
- पांच बार से शिवसेना और भाजपा को ही मिला मौका
- भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना प्रत्याशियों को ही जनता ने तवज्जो दी
- कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों को निरंतर हार का सामना करना पड़ा
Hinganghat News : विधानसभा क्षेत्र जिले में राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है और इस विधानसभा क्षेत्र में 1994 के बाद से पिछले 30 वर्ष में हुए चुनाव में 6 में से 5 बार भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना प्रत्याशियों को ही जनता ने तवज्जो दी। कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों को निरंतर हार का सामना करना पड़ा है। इस बार स्थिति क्या बनती है इस ओर सभी की निगाहें लगी हुईं हैं।
हिंगणघाट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 1994 से पहले कांग्रेस और किसान संगठन का बोलबाला था। लेकिन 1994 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने अशोक शिंदे को चुनाव मैदान में उतारा और वे चुनाव जीत गए। तत्पश्चात 1999 में हुए चुनाव में भी उन्हें ही जीत मिली। इस बीच 2004 में राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रा.राजू तिमांडे को जनता ने चुना। 2009 में हुए चुनाव में फिर से शिवसेना के अशोक शिंदे तीसरी मर्तबा विधानसभा पहुंचे थे। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर समीर कुणावार चुनावी अखाड़े में उतरे थे और उन्होंने 49 हजार वोट लेकर अशोक शिंदे को कड़ी टक्क्रर दी थी लेकिन मात्र 1400 वोटों से वे चुनाव हार गए। वर्ष 2014 में भाजपा ने समीर कुणावार को और शिवसेना ने फिर से अशोक शिंदे को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था। वहीं राकांपा ने प्रा. राजू तिमांडे को टिकट दी थी। इस त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के समीर कुणावार ने बाजी मार ली।
वर्ष 2019 में फिर से भाजपा ने समीर कुणावार को ही टिकट दिया। उस समय उन्होंने 1 लाख 3 हजार 500 वोट लिए और राकांपा के पूर्व विधायक प्रा. राजू तिमांडे को 50 हजार से अधिक वोटों से पराजित कर विजयश्री हासिल कर ली। पिछले 30 वर्ष में शिवसेना प्रत्याशी ने तीन बार और भाजपा प्रत्याशी ने दो बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस बीच राकांपा को महज एक बार ही जीत हासिल हो पायी। लोकसभा चुनाव में उलटफेर के बाद जनता इस विधानसभा चुनाव में किसे अपना प्रतिनिधि बनाकर विधानसभा में भेजती है यह देखना दिलचस्प होगा।