प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में कांग्रेस आगे क्योंकि हटा, पथरिया कमजोर और दमोह में असमंजस

  • जबेरा व दमोह में उम्मीदवारी लगभग तय
  • प्रशासनिक गलियारों में दिखने लगा चुनावी असर

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-12 09:15 GMT

डिजिटल डेस्क,दमोह।

मिशन 2003 की तैयारियों के तहत प्रत्याशी चयन जैसे अहम मामले मेंं कांग्रेस भाजपा से आगे निकलती दिख रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार कांग्रेस विलंब को कारण के रूप में अपनाने को तैयार नहीं है। विशेष रूप से हटा तथा पथरिया उन सीटों पर जहां कांग्रेस कमजोर है। सूत्रों के मुताबिक रेड जोन में शामिल इन दोनों सीटों पर कांग्रेस संगठन जल्द केन्द्रीय पर्यवेक्षक भेजने वाला है। एआईसीसी के पर्यवेक्षक प्रदीप टामटा जल्द इन दोनों सीटों का दौरा कर दावेदारों से भी मिलेंगे और उपयुक्त नामों को लेकर जिले के वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं से रायशुमारी भी करेंगे।

जबेरा व दमोह में उम्मीदवारी लगभग तय

जबेरा को लेकर प्रदेश संगठन काफी हद तक निश्चिंत है लेकिन दमोह को लेकर असमंजस बना हुआ है। इन सीटों पर क्रमश: पिछला चुनाव हारे और उपचुनाव जीते प्रत्याशी का नाम संगठन स्तर पर लगभग तय है। दमोह में ऐनवक्त पर बदलाव की संभावना जरूर सूत्रों ने जताई है। दरअसल, दमोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व मंत्री जयंत मलैया को लेकर पीसीसी चीफ चिंतित हैं। माना जा रहा है कि यदि भाजपा दमोह में जयंत मलैया को लाती है तो कांग्रेस भी यहां बदलाव कर सकती है। कारण, सूत्रों की माने तो दमोह में सिटिंग विधायक अजय टंडन को ही पार्टी फिर से आजमाएगी और जबेरा में भी प्रताप लोधी को प्राथमिकता दी जा रही है। जयंत मलैया और अजय टंडन दोनों पर परस्पर पार्टी के विपरीत एक-दूसरे के पक्ष में माहौल बनाने के आरोप लगते रहे हैं। उपचुनाव में भाजपा की पराजय के बाद जयंत मलैया पर इन आरोपों के चलते कार्यवाही भी की गई थी। कांग्रेस संगठन इस बात को लेकर सशंकित है कि, यदि जयंत मलैया भाजपा के उम्मीदवार होते हैं तो अजय टंडन उपचुनाव वाला दमखम दिखाकर पार्टी की साख बचा पाएंगे।

बागियों को मनाने की तीन बार होगी पहल

कांग्रेस संगठन प्रत्याशी चयन के साथ-साथ, नामों की घोषणा के साथ संभावित बगावत रोकने की रणनीति पर भी काम कर रहा है। अपने उम्मीदवारों के चयन के उपरांत बागियों को संभालने की रणनीति बना चुकी है। सूत्रों के अनसार पीसीसीचीफ और उनकी टीम तक यह बात पहुंच चुकी है कि जबेरा व दमोह के प्रथमिक दो दावेदारों में से एक का बागी होना तय है। पथरिया व दमोह में भी बागवत की आशंका से सूत्र इंकार नहीं करते। इसलिये प्रदेश नेतृत्व इस फैसले पर पहुंच चुका है कि टिकट न मिलने से खफा पार्टी नेता व कार्यकर्ता मनाने की तीन बार पहल की जाएगी। पार्टी के सत्ता में आने पर विशेष पदों का लालच भी दिया जाएगा। ऐसे में यदि हालात संभलते है तो ठीक बरना वागियों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाएगा।

दमोह भाजपा के लिए बना सिरदर्द

एक समय भाजपा का गढ़ रही दमोह विधानसभा सीट भाजपा के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। इस सीट पर जिस तरह की खेमेबाजी और विरोध दिख रहा है उससे संगठन की चिंता बढ़ी हुई है। कई समकक्ष उम्मीदवार और पिछले मुख्य व उपचुनाव में हार के बाद, संगठन यहां कोई भी निर्णय आसानी से या फिर तुरत-फुरत में नहीं ले पा रहा है। लिहाजा, उलझन बरकरार है। संगठन के लिए यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि वह किस को आगे करे और किसको रोके। फिलहाल संगठन प्रत्याशी चयन के बाद की स्थिति का आकलन कर रहा है और यह देख रहा है कि किस नाम पर नुकसान कम होगा और किस खेमे को आसानी से मना लिया जाएगा। ऐसे में बहुत संभव है पार्टी किसी चौथे-पांवे यानि नये चेहरे को यहां चुनाव मैदान में उतार दे।

केन्द्रीय मंत्री का बढ़ रहा रूतबा

जिले में हो रहे विकास कार्यों में भी विकास से ज्यादा राजनीतिक दमखम दिखाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। पिछले दिनों दमोह को कुछ रेल्वे ओव्हर ब्रिज की सौगात मिली जिसे समर्थक सांसद व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के प्रयास बता रहे है। इन ओव्हर ब्रिज में मलैया मिल से निकलने बाला ओव्हर ब्रिज खासा चर्चाओं में है। दरअसल मलैया मील फाटक के एक किमी की अंदर दो ब्रिज उसी रास्ते के लिए उपलब्ध हो गए हैं, जिससे यह ब्रिज बनना गैर जरूरी लगता है। लेकिन इसका दूसरा पक्ष जिले की राजनीति में सांसद के बढ़ते प्रभाव को भी सामने लाता है। दरअसल पूर्व में इस ब्रिज को जयंत मलैया द्वारा रोके रहने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में सांसद के प्रयासों से उक्तब्रिज का भूमि पूजन वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में उनके बढ़ते रूतबे को भी दर्शाता है।

प्रशासनिक गलियारों में दिखने लगा चुनावी असर

चार महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनावों का असर प्रशासनिक गलियारों में भी दिखाई देने लगा है। प्रशासनिक अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से नेता ही नहीं बल्कि आम आदमी भी राजनीतिक गठजोड़ ढूंढने लगा है। ताजा मामला चार दिन भीतर दो एसपी के आने-जाने का है। राशन दुकान संचालक द्वाराआत्महत्या के मामले में भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज करने के बाद केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के निशाने पर आए एसपी राकेश कुमार सिंह को यहां से सिवनी भेज दिया गया। उनकी जगह पन्ना एसपी धर्मराज मीणा को दमोह पुलिस की कमान दी गई। दो दिन भीतर ही धर्मराज की जगह सुनील तिवारी को दमोह में एसपी बना कर भेज दिया गया। इन तबादलों के जहां राजनीतिकनिहितार्थ खोजे व जोड़े जा रहे हैं, वहीं यह भी माना गया कि सांप्रदायिंक घटनाओं को लेकर इधर जिले की जो छवि खराब हुई है, उसे सुधारने सुनील तिवारी को लाया गया है। क्योंकि सुनील तिवारी का नाम हमेशा से ही सामाजिक व धार्मिक सौहाद्र्र से जुड़ा रहा है।

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