छिंदवाड़ा: विंटर डायरिया की दस्तक, बच्चों में पेट दर्द के साथ उल्टी-दस्त की समस्या बढ़ी
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मौसम में बदलाव और रात के गिरते तापमान के साथ ठंड ने दस्तक दे दी है। ठंड के साथ ही मौसमी बीमारियों के मरीज बढऩे लगे है। इन दिनों जिला अस्पताल में विंटर डायरिया के पेशेंट बढ़ गए है। पांच साल तक के बच्चों में पेट दर्द की समस्या के साथ उल्टी-दस्त की समस्या बढ़ गई है। मौसमी बीमारियों से पीडि़त ६० से ८० बच्चों को अभिभावक अस्पताल लेकर पहुंच रहे है। विंटर डायरिया के अलावा इन दिनों वायरल फीवर, सर्दी-खांसी, एलर्जी, अस्थमा और हृदय के मरीजों में तेजी से इजाफा हो रहा है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हितेश रामटेके ने बताया कि ठंड के दिनों में विंटर डायरिया का प्रकोप बढ़ जाता है। इसमें बच्चों में उल्टी-दस्त की समस्या होती है। इन दिनों ओपीडी में डायरिया पेशेंट की संख्या अधिक है। इस मौसम में बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान देना होता है। बच्चों को ताजा और स्वच्छ भोजन के अलावा पानी उबालकर देना चाहिए।
निजी क्लिनिक में भी मरीज की भीड़-
शहर के निजी अस्तपाल और क्लीनिकों में मौसमी बीमारियों के मरीजों की भीड़ देखने को मिल रही है। शिशु रोग विशेषज्ञों की क्लीनिकों में सर्दी-खांसी और तेज बुखार से पीडि़त बच्चों की कतार देखी जा सकती है। इसके अलावा निजी अस्पतालों में एलर्जी, फंगल इंफेक्शन, एग्जिमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
बुजुर्गों का भी रखें ख्याल...
एमडी मेडिसिन डॉ. मनीष गठोरिया ने बताया कि ठंड का असर बड़े बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। वायरल फीवर, ह्दय संबंधी बीमारी, अस्थमा और एलर्जी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बुजुर्ग और एलर्जी, अस्थमा व कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को शुरूआती ठंड से बचाव का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
मौसमी बीमारियों के लक्षण...
- पेट दर्द की समस्या होती है।
- पेट दर्द के साथ उल्टी-दस्त।
- दस्त की वजह से शरीर में पानी की कमी होना।
- १०० डिग्री से अधिक तेज बुखार।
- सर्दी और सूखी खांसी या कफ की समस्या।
- बुखार के साथ सांस तेज चलना।
ठंड में बच्चों का रखें विशेष ख्याल...
- बच्चों को बाहरी खाद्य पदार्थ न खाने दें।
- पानी उबालकर पिलाएं।
- बांसा भोजन न दें, हमेश ताजा भोजन कराएं।
- बच्चों को ठंड से बचाएं, गर्म कपड़े पहनाकर रखें।
- अभिभावक खांसते-छींकते समय मुंह में रुमाल रखें।
- शिशु को छह माह तक मां के दूध के अलावा कुछ न दें।
- मां का दूध हर बीमारी से लडऩे की क्षमता देता है।
- माताएं साबुन या हेंडवास का इस्तेमाल करें।