मुआरी खदान में तीन माह से उत्पादन बंद, खदान के252 कर्मचारियों को किया शिफ्ट
वन एवं पर्यावरण विभाग से खदान चलाने नहीं मिली अनुमति
गुढ़ी अम्बाड़ा, छिंदवाड़ा। मोहन कालरी की मुआरी खदान अनुमति नहीं मिलने से बंद पड़ी है। तीन माह से उत्पादन नहीं हुआ, प्रबंधन ने मौजूदा कर्मचारी व स्टॉफ में से २५२ कर्मचारियों को शारदा खदान में शिफ्ट कर दिया है। लगातार बंद होती खदानों के चलते कोयलांचल का अस्तित्व खतरे में है।
गौरतलब है कि सन 1990 में खुली मुआरी खदान में लगभग 495 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा सैंकड़ों ठेका मजदूरों के घर का चूल्हा भी इसी खदान से जलता है। वन एवं पर्यावरण विभाग से खदान को आगे चलाने के लिए अब तक अनुमति नहीं मिल सकी। बीते ३ माह से खदान में उत्पादन बंद है। प्रबंधन ने खदान में उत्पादन बंद होने से २५२ कर्मचारियों को शारदा खदान में शिफ्ट कर दिया है।
1.6 मिलियन टन कोयला का भंडार है यहां
मुआरी खदान में 1.6 मिलियन टन कोयला का भंडारण होने के बावजूद वन विभाग की अनुमति न होने से इस खदान को बंद किया जा रहा है। जिससे क्षेत्र का रोजगार व्यापार प्रभावित होगा।
वर्ष 20१८ में ऐसे बची थी खदान
मुआरी खदान में बार-बार छत गिरने, जहरीली गैस का रिसाव होने व घाटे का हवाला देकर इसे साल २०१८ में बंद करने का आदेश जारी किया गया था। लेकिन श्रमिक संगठनों व स्थानीय लोगों के आंदोलन के बाद खदान को बंद होने से बचा लिया गया था।
इनका कहना है
सब एरिया अम्बाड़ा कार्यालय से २५२ कामगारों की स्थानांतरण सूची जारी की गई है। मुआरी खदान से कामगारों को अस्थाई रूप से शारदा भूमिगत खदान में स्थानांतरित किया गया है। अनुमति मिलने के बाद इन्हें वापस बुला लिया जाएगा।
- एके सिंह, मोहन कालरी खान प्रबंधक