छिंदवाड़ा: कमिश्नर के आदेश पर पहले मशीन छीनी, एफआईआर का आवेदन दिया, फिर उसी कंपनी को दे दिया काम

  • कमिश्नर के आदेश पर पहले मशीन छीनी, एफआईआर का आवेदन दिया, फिर उसी कंपनी को दे दिया काम
  • ५ नवम्बर २०२३ को एसडीएम की मौजूदगी में सिम्स प्रबंधन ने मशीन हैंडओवर ली थी
  • २ फरवरी २०२४ को कमिश्नर की मौजूदगी में ठेका कंपनी नेे फिर शुरू की एमआरआई जांच

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-04 04:15 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल परिसर में स्थापित एमआरआई मशीन का संचालन गफलतों से भरा है। एमओयू साइन न करने और स्वयं ही मरीजों से शुल्क वसूलने पर ठेका कंपनी से नाराज जबलपुर कमिश्नर अभय वर्मा ने सिम्स प्रबंधन से मशीन हैंडओवर लेने और एफआईआर के निर्देश दिए थे। कमिश्नर के आदेश पर ५ नवम्बर २०२३ को एसडीएम सुधीर जैन की मौजूदगी में डीन डॉ.जीबी रामटेके और एमआरआई मैनेजमेंट कमेटी द्वारा एमआरआई मशीन अपने हैंडओवर ले ली गई थी।

ठेका कंपनी द्वारा तीन माह मरीजों से वसूले गए शुल्क का हिसाब न देने पर सिम्स डीन द्वारा १५ दिसम्बर २०२३ को कंपनी के खिलाफ कोतवाली थाने में शिकायत की गई थी। जिसकी जांच अभी भी चल रही है। इस बीच अचानक उसी ठेका कंपनी को एमआरआई के संचालन की जवाबदारी सौंप दी गई। दो फरवरी को छिंदवाड़ा के दौरे पर आए कमिश्नर की उपस्थिति में उक्त ठेका कंपनी ने दोबारा काम शुरू कर दिया है।

सिम्स फ्री में दे रहा था सेवाएं, अब देना होगा शुल्क-

जिले के जरुरतमंद मरीजों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पिता स्व. महेन्द्रनाथ स्मृति ट्रस्ट के जरिए लगभग ८ करोड़ रुपए लागत की मशीन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को दी थी। इसका संचालन सिम्स प्रबंधन द्वारा किया जाना था। सिम्स द्वारा मरीजों को निशुल्क सेवाएं दी जानी थी, लेकिन आउटसोर्स करने के बाद अब मरीजों को भले निजी संस्थान से कम पर जांच शुल्क चुकाना होगा।

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शिकायत की कोतवाली पुलिस कर रही जांच-

सिम्स प्रबंधन द्वारा ठेका कंपनी को दोबारा काम सौंप दिया गया है। दूसरी ओर कोतवाली पुलिस को प्रबंधन द्वारा दिए गए आवेदन की जांच चल रही है। इस मामले में कोतवाली टीआई उमेश गोल्हानी का कहना है कि डीन द्वारा दिए गए आवेदन में मशीन संचालन के दौरान मरीजों से वसूले गए शुल्क का लेखाजोखा न देने की शिकायत की गई थी। शिकायत की जांच की जा रही है। जांच के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

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क्या कहते हैं अधिकारी-

ठेका कंपनी और प्रबंधन के बीच कुछ बिंदुओं पर असहमति की वजह से ऐसी स्थिति बनी थी। जबलपुर कमिश्नर द्वारा इन बिंदुओं का समाधान कर ठेका कंपनी को दोबारा काम दिया गया है।

- डॉ.विपिन जैन, अधीक्षक, सिम्स

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