डिलेवरी पाइंट में लटका ताला, अस्पताल के बाहर तीन घंटे तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही गर्भवती

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-22 09:50 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। स्वास्थ्य विभाग भले ही जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के मजबूत होने का दावा कर रहा है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत ग्रामीण अंचलों के डिलेवरी पाइंट में रात के वक्त लटके ताले बयां करते है। कुछ इसी तरह का एक मामला मंगलवार-बुधवार दरमियानी रात लिंगा डिलेवरी पाइंट (स्वास्थ्य केन्द्र) में सामने आया। डिलेवरी पाइंट में ताला लगा होने से लगभग तीन घंटे तक गर्भवती अस्पताल के सामने तड़पती रही।

सेना में पदस्थ सरोरा निवासी अनिल ग्यारेकर ने बताया कि रात १२.३० से १ बजे के बीच वह अपनी गर्भवती पत्नी गोमती को प्रसव पीड़ा के चलते लिंगा स्वास्थ्य केन्द्र लेकर पहुंचा था। यहां अस्पताल के मेन गेट पर ताला लटका था। आशा कार्यकर्ता के फोन करने पर नर्सिंग स्टाफ तो अस्पताल पहुंच गई थी, लेकिन आया या गार्ड फोन लगाने पर भी नहीं आए। काफी इंतजार के बाद रात लगभग २.३० से ३ बजे के बीच गांव के कुछ लोगों से मदद मांगी तो उन्होंने आया के घर जाकर चाबी लाई। तब अस्पताल खुलवाकर गर्भवती को भर्ती किया जा सका। इस बीच लगभग तीन घंटे प्रसव पीड़ा से गर्भवती गोमती ग्यारेकर अस्पताल के सामने तड़पती रही।

ताला लगाकर घर चला गया था गार्ड-

पीडि़त अनिल ग्यारेकर ने बताया सुबह गार्ड के आने पर जब उससे पूछा गया कि रात को वह कहां चला गया था, तो उसका जवाब था गेट पर ताला लगाकर वह घर चला गया था। ऐसी लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते यदि गर्भवती की हालत गंभीर हो जाती तो इसका जवाबदार कौन होता।

नियम... चौबीस घंटे होना चाहिए स्टाफ-

शासन और प्रशासन मातृ-शिशु मृत्युदर को कम करने संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने लगातार प्रयासरत है। इसके लिए हर डिलेवरी पाइंट के लिए स्पष्ट आदेश है कि चौबीस घंटे स्टाफ मौजूद होना चाहिए। ताकि किसी भी समय गर्भवती के आने पर उसे इलाज मिल सके। लेकिन लिंगा समेत अन्य डिलेवरी पाइंट में रात के वक्त ताले लटके मिलते है।

क्या कहते हैं अधिकारी-

डिलेवरी पाइंट पर चौबीस घंटे स्टाफ की ड्यूटी होती है। लिंगा डिलेवरी पाइंट पर यदि ऐसा हुआ है तो जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

- शैलेन्द्र सोमकुंवर, डीपीएम

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