भाजपा में सबकुछ हो रहा, गुटबाजी खत्म करने पर काम नहीं विधानसभा चुनाव सामने फिर भी गुटबाजी की खाई बरकरार
- बीजेपी का सबसे बड़ा टारगेट छिंदवाड़ा
- पार्टी में नजर आ रही गुटबाजी
- नगर निकाय चुनाव के समय दिखा मनमुटाव
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। प्रदेश में पांचवी बार सत्ता में आने की तैयारियों में प्रदेश भाजपा जुटी हुई है, वहीं 2024 में तीसरी बार केंद्र की सत्ता पाने को आतुर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने छिंदवाड़ा को खास टारगेट में रखा है। इसके लिए पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं का आना-जाना यहां लगा हुआ है। पार्टी कार्यक्रमों का क्रियान्वयन भी यहां गंभीरतापूर्वक कराया जा रहा है। इतने सब के बाद भी जिले में भाजपा के भीतर की गुटबाजी की खाई को पाटने की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल सामने नहीं आई है। भाजपा के भीतर की गुटबाजी लगातार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर दिखाई व सुनाई पड़ रही है। माना जा रहा है कि गुटबाजी का यही आलम रहा तो केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व के मंसूबों की सफलता यहां कठिन भी हो सकती है।
गुटबाजी की स्थिति के ये नजारे
पिछले दिनों जिला भाजपा कार्यालय में नगरनिगम के पार्षदों की मीटिंग बुलाई गई थी। वरिष्ठ नेताओं व पदाधिकारियों की मौजूदगी में इस बैठक में दो गुटों में बंटे भाजपा पार्षदों के एक-दूसरे पर जमकर आरोप जड़े। बात अंगुलियां उठाने से लेकर दिखाने तक पहुंच गई। मीटिंग आरोपों की भेंट चढ़ गई। दोबारा होनी थी लेकिन अब तक नहीं हो पाई।
पार्टी के कार्यक्रमों में भी गुटबाजी का असर देखा जा रहा है। पिछले दिनों शहर के स्टेशन क्षेत्र के एक वार्ड में लाडली बहना सम्मेलन का आमंत्रण बांट रही महिला मोर्चा पदाधिकारियों से कथित अभद्रता हो गई। बताया जा रहा है कि मोर्चा और मंडल के कुछ पदाधिकारियों ने थाने पहुंचकर धरना दे दिया। जिस पर मामला भी दर्ज हुआ। जबकि दूसरे पक्ष ने एसपी से मुलाकात की। पूरे वाकये को अब गुटबाजी से जोडक़र देखा जा रहा है।
भोपाल तक पहुंची थी बात, समन्वय की कोशिश भी हो चुकी:
नगरीय निकाय चुनाव के दौरान खुलकर सामने आई गुटबाजी की गूंज आरोप-प्रत्यारोप के चलते भोपाल तक पहुंच गई थी। एक पक्ष के लोगों ने भोपाल पहुंचकर प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष बात रखी थी। जबकि दूसरे पक्ष ने यहां आए वरिष्ठ नेताओं के समक्ष खुलकर अपना पक्ष रखा था। बात तो सुनी गई लेकिन समन्वय की कोशिश नाकाम रही। अब भी भाजपा में धड़े अलग-अलग ही दिखाई दे रहे हैं।
निष्कासित भी वापसी में खास रूचि नहीं दिखा रहे:
नगरीय निकाय चुनाव के दौरान भाजपा में गुटबाजी चरम पर पहुंची थी। बगावत कर चुनाव में उतरने वाले, भीतरघात करने वालों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था। इनकी संख्या बड़ी थी, 40 से अधिक पर कार्रवाई की गई थी। अब सशर्त वापसी के द्वार खुले हैं, लेकिन निष्कासित नेताओं में वापसी को लेकर खास रूचि अब तक दिखाई नहीं दे रही है। सूत्रों के मुताबिक 2-4 ने ही अब तक वापसी के लिए आवेदन दिए हैं।