मध्य प्रदेश: उपभोक्ताओं के पक्ष में न्यायिक संशोधन जरूरी: दिनकर सबनीश

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-25 07:06 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सामाजिक विकास के साथ वस्तुओं की विपुलता बड़ी है। संसाधनों और सामानों का बड़ा बाजार निर्मित हो गया है। इसी के साथ उपभोक्तावादी संस्कृति का निर्माण हुआ।

उपभोक्ता बाजार में कई तरह से असुरक्षित है, और समस्याओं का सामना करते हैं, इनमें दोषपूर्ण सामान सेवा में कमी खाद्य पदार्थों में मिलावट नकली सामान जमाखोरी नापतोल में धोखादेर से वितरण पैकेट की सामग्री में अंतर बिक्री के बाद खराब सेवा भ्रामक विज्ञापन मूल घटक मूल में भेदभाव एटीएम व क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी वित्तीय धोखाधड़ी अचल संपत्ति तथा एन उपभोक्ताओं से संबंधित समस्या नकली समीक्षा निजी जानकारी की है कि और डिजिटल धोकर दाढ़ी शामिल है।

यह बात अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनकर सबनीश ने अपने संबोधन में कही। दिनकर सबनीश ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का इतिहास भारत सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को व्यापार उद्योग के शोषण से मुक्ति के लिए 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधेयक पारित किया गया इसी दिन को भारत सरकार ने राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस नेशनल कंज्यूमर डे घोषित किया इसके बाद इस नियम में 1991 तथा 1993 में संशोधन किए गए वर्ष 2002 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को और भी असरदार बनाने के लिए व्यापक संतुलन लाया गया है।

राइट टू इन्फॉर्म

उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं और ग्राहक जिसके लिए भी पैसे खर्च कर रहे हैं उसे वास्तु के संबंध में आवश्यक जानकारियां प्राप्त करने का अधिकार चयन का अधिकार होना चाहिए। बाजार में एक वस्तु या सेवा प्रदान करने के लिए कई कंपनियां होती है उनके कई विकल्प भी होते अतः उपभोक्ता को वह अधिकार है कि वह अपने लिए बेहतर विकल्प को चूूने।

उपभोक्ता को उनके साथ होने वाली धोखाधड़ी की स्थिति में अपील करने का अधिकार है ठगी की स्थिति में उपभोक्ता कानूनी कार्रवाई के लिए अपील कर सकता है उपभोक्ताओं की अपील के लिए प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक उपभोक्ता फोरम बनाए गए हैं। मुआवजा देने का अधिकार यदि किसी उपभोक्ता को प्राप्त वस्तु अथवा सेवा गुणवत्तापूर्ण नहीं हो तो ऐसी स्थिति में उन्हें मुआवजा लेने का अधिकार है।

Tags:    

Similar News