All India Bahujan Intellect Summit-2024: संविधान विहीन भारत - एक काल्पनिक दृष्टिकोण

  • संविधान के बिना भारत में सामाजिक न्याय, समानता और लोकतंत्र के मूल सिद्धांत समाप्त हो जाएंगे।
  • वक्ताओं ने राजनीतिक दलों और अन्य शक्तियों द्वारा संविधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई।
  • संविधान की रक्षा और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए जन आंदोलन चलाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-25 12:35 GMT

भोपाल। संविधान दिवस के उपलक्ष्य में ऑल इंडिया बहुजन इंटेलेक्ट समिट-2024 का आयोजन भोपाल के समन्वय भवन, न्यू मार्केट में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय था "संविधान विहीन भारत: एक काल्पनिक दृष्टिकोण," जिसमें देश के प्रमुख बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संविधान के महत्व और इसके संरक्षण पर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम में निम्नलिखित वक्ताओं ने हिस्सा लिया और संविधान के महत्व और इसके संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया:

दिग्विजय सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश):

"संविधान भारत की आत्मा है। यदि भारत से संविधान को हटा दिया जाए, तो हम सामाजिक न्याय, समानता और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को खो देंगे। हमें संविधान के मूल्यों को हर नागरिक तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। कांग्रेस की विचारधारा हमेशा ही संविधान की पक्षधर रही है। यदि हम अंतिम पंक्ति के व्यक्ति की फिक्र करते हैं, तो संविधान के प्रति आस्था रखना अनिवार्य है।"

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अशोक वानखेड़े (राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार):

"भारतीय लोकतंत्र यदि आज जीवित है, तो वह संविधान की वजह से है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज राजनीतिक दल संविधान को तोड़ने में लगे हैं। संविधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का बुरा हाल है। मीडिया का कर्तव्य है कि वह संविधान की रक्षा में अपनी भूमिका निभाए। संविधान विहीन भारत केवल अराजकता और असमानता का पर्याय होगा। यह कार्यक्रम हमें संवैधानिक मूल्यों के महत्व को समझने और उनका प्रचार करने की प्रेरणा देता है।"

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प्रो. डी. एन. संदानशिव (पूर्व सदस्य, लॉ कमीशन):

"संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि एक सामाजिक अनुबंध है। यह भारत को एकजुट करता है। यदि यह अनुबंध समाप्त हो जाए, तो हमारी विविधता संघर्ष का कारण बन जाएगी, एकता का नहीं। संविधान के बिना भारत में शांति और सद्भावना का कोई स्थान नहीं रहेगा।"

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बादल सरोज (संपादक, लोकतंत्र):

"संविधान विहीन भारत की कल्पना हमें उन खतरों की ओर इशारा करती है जो संविधान की अनदेखी करने पर हो सकते हैं। संविधान हमें अधिकार ही नहीं, बल्कि कर्तव्य भी प्रदान करता है। यदि संविधान खत्म हो जाता है, तो उसके साथ भारत का लोकतंत्र भी खत्म हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप गरीब, पिछड़े और महिलाओं के अधिकार समाप्त हो जाएंगे। संविधान का संरक्षण हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।"

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डॉ. (मेजर) मनोज राजे (सामाजिक कार्यकर्ता):

"अंग्रेजों का मानना था कि आज़ादी के बाद भारत का लोकतंत्र बिखर जाएगा, क्योंकि हमें राजनीतिक, प्रशासनिक और सैन्य नेतृत्व का अनुभव नहीं था। लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि ने यह साबित कर दिया कि भारत का लोकतंत्र न केवल 75 वर्षों से मजबूती से खड़ा है, बल्कि दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। संविधान बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की दूरदृष्टि का परिणाम है। यह हर वर्ग, हर समुदाय को सुरक्षा प्रदान करता है। हमें इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना होगा। संविधान के बिना भारत वह राष्ट्र नहीं होगा, जिसकी हमने कल्पना की थी।"

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सुनील बोरसे (सामाजिक कार्यकर्ता):

"संविधान हमारी पहचान और अधिकारों का स्तंभ है। हमें समाज के सभी वर्गों को इसके महत्व से अवगत कराना चाहिए। इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हम एक जन आंदोलन चलाने की योजना बना रहे हैं। संविधान का संरक्षण ही भारत का सशक्तिकरण है।"

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कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दर्शकों ने भाग लिया। यह आयोजन संविधान के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने और संवैधानिक मूल्यों को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का एक सफल प्रयास साबित हुआ। आयोजन समिति ने सभी प्रतिभागियों, दर्शकों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।

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