सारस पर नहीं तरस: सिर्फ दो अधिकारी, इसलिए वेटलैंड दस्तावेज का काम रुका
- हाई कोर्ट में पर्यावरण विभाग के संचालक का शपथ-पत्र
- काम में तेजी के लिए शोध संस्था से किया है करार
- वेटलैंड दस्तावेज का काम रुका
डिजिटल डेस्क, नागपुर. हाल के वर्षों में नागपुर विभाग के गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। प्रेम-प्रतीक सारस की उड़ान से गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर को एक नई पहचान मिली है। वर्ष 2011-12 में सारस की संख्या 52 तक पहुंच गई थी, लेकिन विभिन्न कारणाें के चलते संख्या घटती गई और यह 30 के आस-पास सिमट गई है। बताया गया है कि जिस क्षेत्र में सारस अपने निवास बनाते हैं, उस क्षेत्र से हाईटंेशन विद्युत तारों की लाइन गई है। जब सारस उड़ान भरता है तो हाईटेंशन विद्युत तारों से वह टकरा जाता है। करंट लगने से उनकी मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा जहरीला भोजन व प्राकृतिक आपदा से भी उनकी मृत्यु हो जाती है।
सू-मोटो जनहित याचिका
समाचार-पत्रों में संबंधित खबरों के प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। इस विषय के विविध पहलुओं पर गौर करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में स्वतंत्र सारस संवर्धन समितियां गठित की हैं। इन समितियाें को वेटलैंड संबंधी दस्तावेज तैयार करने में सहायता के लिए राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की ओर से एक जिम्मेदार अधिकारी नियुक्त करने के आदेश दिए थे, लेकिन राज्य वेटलैंड प्राधिकरण में सिर्फ दो अधिकारी कार्यरत हैं। इसके चलते राज्य वेटलैंड प्राधिकरण ने नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) नामक शोध संस्था के साथ समझौता करार किया है। यह शोध संस्था गोंदिया, भंडारा और चंद्रपुर के जिलाधिकारी को वेटलैड संबंधी दस्तावेज तैयार करने में सहायता करने वाली है।
अब तक की स्थिति
जिला सारस संवर्धन समितियाें की अब तक कितनी बैठकें हुई, कौन-कौन से निर्णय लिए गए। इस मामले में जवाब दायर करने के कोर्ट ने आदेश दिए हंै। राज्य सरकार ने सारस पक्षी के संवर्धन के लिए कितने जीआर जारी किए हैं और कितने जीआर जारी करना बाकी है, इस पर भी सरकार से जवाब मांगा है।
शपथ-पत्र में दी जानकारी
यह जानकारी देते हुए मंगलवार को पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संचालक और राज्य वेटलैड प्राधिकरण के सदस्य सचिव अभय पिंपरकर ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में शपथ-पत्र दायर किया। न्या. अतुल चांदुरकर और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले में एड. राधिका बजाज न्यायालय मित्र की भूमिका में हैं।