भंडारा: चांद की दूधिया रोशनी में प्रकृति प्रेमियों ने किए बाघ- हिरण और तेंदुए के दीदार

  • उमरेड-पवनी-करांडला वन्यजीव अभयारण्य में हुई प्राणीगणना
  • बाघ और उसके भक्षक का लगाया जाता है पता

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-24 12:13 GMT

डिजिटल डेस्क, भंडारा. अभयारण्य के वन्यजीवों का अंदाजन संख्या पता लगाने के लिए 22 व 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष्य में प्रकृति अनुभव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उमरेड–पवनी–करांडला अभयारण्य में 22 मई की दोपहर 3 बजे से 23 मई की सुबह 8 बजे तक जंगल के जलाशयों के पास वन्यजीवों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान निरीक्षणकर्ता पर्यटकों को चांद की दूधिया रोशनी में बाघ, तेंदुआ, हिरण, जंगली श्वान, भालू आदि के दीदार हुए।

कार्यक्रम में दौरान नौ बाघ व तीन तेंदुए के दीदार हुए। उमरेड, कुही व पवनी इन तीन वन परिक्षेत्र में 34 लकड़ी के मचान बनाए गए थे। वन्यजीव गणना में शामिल हुए लोगों को एक टी शर्ट, टोपी व रात्रि भोजन दिया गया। इस कार्यक्रम में 103 लोग शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान मचान पर शामिल व्यक्ति के साथ एक वनरक्षक एवं एक सहायक ऐसे तीन लोग लोग निरीक्षण में शामिल हुए।

जंगल में रात में जलाशय में बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली श्वान, जंगली भैंसा, सांबर, चितल, नीलगाय, जंगली श्वान ऐसे विविध जानवर दिखाई दिए। आपदाकालीन स्थिति से निपटने के लिए वैद्यकीय टीम उपलब्ध थी। अभयारण्य में नौ बाघ व तीन तेंदुए नजर आए। इस उपक्रम का आयोजन क्षेत्र संचालक डा. प्रभु नाथ शुक्ल, सहायक वन संरक्षक यशवंत नागुलवार के मार्गदर्शन में वन परिक्षेत्र अधिकारी आरती उके, लहू ठोकल, मंगेश ताटे व सभी क्षेत्र सहायक तथा वनरक्षक शामिल हुए।

बाघ और उसके भक्षक का लगाया जाता है पता

अखिल भारतीय व्याघ्र गणना में बाघ के साथ साथ उसके भक्षक का भी अंदाज लगाया जाता है। इसमें अन्य वन्यजीवों की संख्या निश्चित नहीं हो पाती। जंगल के जलाशयों पर होने वाली वन्यजीव गणना को लेकर अलग-अलग विचार है। इससे अलग-अलग क्षेत्र के वन्यजीवों की जानकारी सामने आती है। 


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