थर्ड पार्टी वाहन बीमा के प्रीमियम में एक जून से बढ़ोतरी

हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रीमियम में छूट थर्ड पार्टी वाहन बीमा के प्रीमियम में एक जून से बढ़ोतरी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-26 09:01 GMT
थर्ड पार्टी वाहन बीमा के प्रीमियम में एक जून से बढ़ोतरी
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डिजिटल डेस्क, चेन्नई। वाहन मालिकों को अब एक जून से थर्ड पार्टी वाहन बीमा के लिए अधिक रकम देनी होगी। हालांकि, शैक्षणिक संस्थानों की बसों, विंटेज यानी पुरानी कारों, इलेक्ट्रिक वाहन और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रीमियम में छूट दी गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि उसने बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के परामर्श से मोटर वाहन (थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम एवं देयता) नियम, 2022 को प्रकाशित किया है। मंत्रालय का कहना है कि बीमा प्रीमियम संबंधी ये नये नियम एक जून से प्रभावी होंगे।

नये नियमों में विंटेज कार के थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम में 50 फीसदी, शैक्षणिक संस्थानों की बसों के प्रीमियम में 15 प्रतिशत, इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रीमियम में 15 प्रतिशत और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रीमियम में साढ़े सात प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम के रूप में तीन साल से पुरानी 1,000 सीसी तक की निजी कार के लिए 2,094 रुपये, 1,000 सीसी से 1,500 सीसी तक की कार के लिए 3,416 रुपये तथा 1,500 सीसी से अधिक की कार के लिए 7,897 रुपये का भुगतान करना होगा। थर्ड पार्टी बीमा के तीन वर्ष के एकल प्रीमियम के रूप में 1,000 सीसी तक की नई निजी कार के मालिक को 6,521 रुपये, 1,000 सीसी से 1,500 सीसी तक की कार के लिए 10,640 रुपये और 1,500 सीसी से अधिक की कार के लिए 24,596 रुपये देने होंगे।

इसी तरह पांच साल से पुराने दोपहिया वाहन अगर 75 सीसी तक के हों, तो वाहन मालिक को थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम के रूप में 538 रुपये, 75 से 150 सीसी तक के वाहन के लिए 714 रुपये, 150 से 300 सीसी तक के वाहन के लिए 1,366 रुपये तथा 350 सीसी के अधिक क्षमता के दोपहिया वाहन के लिए 2,804 रुपये चुकाने होंगे।

नये दोपहिया वाहन के लिए पांच साल के एकल प्रीमियम की नई दर 75 सीसी के लिए 2,901 रुपये, 75 से 150 सीसी तक के लिए 3,851 रुपये, 150 सीसी से 350 सीसी तक 7,356 रुपये और 350 सीसी से अधिक क्षमता वाले दोपहिया के लिए 15,117 रुपये है। मालवाहक वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी में जीबीडब्ल्यू 7,500 किलोग्राम तक 16,049 रुपये और 40,000 किलोग्राम से अधिक के लिए 44,242 रुपये थर्ड पार्टी प्रीमियम के रूप में देने होंगे।

उद्योग जगत के अधिकारियों ने आईएएनएस को कहा कि वे ईवी के बीमा प्रीमियम में दी जा रही छूट से हतप्रभ हैं। वाहन बीमा के दो भाग होते हैं। पहला है खुद की क्षति यानी क्षति और चोरी की स्थिति में वाहन का बीमा तथा दूसरा है-थर्ड पार्टी देयता यानी थर्ड पार्टी के प्रति देनदारी। थर्ड पार्टी बीमा कवर मोटन वाहन अधिनियम के तहत आवश्यक है जबकि वाहनों की क्षति के लिए बीमा कवर जरूरी नहंी है।

प्रीमियम की राशि खर्च, दावे और लाभ को देखकर तय की जाती है। आईएएनएस को उद्योग जगत के अधिकारियों ने कहा कि ईवी पर बीमा प्रीमियम में छूट किस आधार पर दी गई है, इसका पता नहीं। अगर छूट ईवी के लिए सही है तो दूसरे वाहन भी इस छूट के योग्य हैं। केंद्र सरकार ने बीमा प्रीमियम में यह बढ़ोतरी करने का निर्णय ऐसे समय में लिया है, जब गैर जीवन बीमा निगम कंपनियां प्रीमियम के रूप में प्राप्त करोड़ों रुपये के ढेर पर बैठी हैं, जबकि वे दावों के मद में बहुत ही कम भुगतान कर रही हैं।

बीमा कंपनियां बार-बार ये दावे करती रही हैं कि उन्हें अपने मोटर बीमा पार्टफोलियो के कारण बहुत हानि उठानी पड़ रही है लेकिन इंश्योरेंस इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया और जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़े कुछ और ही तस्वीर दिखाते हैं। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल द्वारा प्रकाशित गैर जीवन बीमा उद्योग के ईयर बुक 2020-2021 के मुताबिक, बीमा कंपनियों को वाहन बीमा के प्रीमियम के रूप में 67,389 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। बीमा कंपनियां प्रीमियम राशि को निवेश करके उस पर भी लाभ अर्जित करती हैं।

साल 2020-21 के दौरान दावों के मद में 28,726 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसमें से 17,834 करोड़ रुपये वाहन क्षति के दावे के रूप में और 10,892 करोड़ रुपये थर्ड पार्टी देनदारी के रूप में दिये गये। इस अवधि में थर्ड पार्टी के कुल 2,57,165 दावों में निपटान किया गया और प्रति क्लेम औसतन 4,23,541 रुपये का भुगतान किया गया।

जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की 2019-20 के दौरान प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया था कि वाहन प्रीमियम के रूप में बीमा कंपनियों ने 68,951 करोड़ रुपये प्राप्त किये और दावों के निपटान में 38,071 करोड़ रुपये दिये। इस अवधि में थर्ड पार्टी के निपटान किये गये दावों की संख्या 4,03,283 थी और प्रति क्लेम औसतन 4,34,409 रुपये का भुगतान किया गया।

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