Good News: पेट्रोल- डीजल जल्द हो सकता है सस्ता, ओपेक+ देशों के इस निर्णय का होगा असर
Good News: पेट्रोल- डीजल जल्द हो सकता है सस्ता, ओपेक+ देशों के इस निर्णय का होगा असर
- उत्पादन बढ़ने से कच्चा तेल होगा सस्ता
- ओपेक समूह की ऑनलाइन बैठक में निर्णय
- तेल की आपूर्ति बढ़ाने पूर्ण सहमति बनी है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में पेट्रोल- डीजल (Petrol-Diesel) की आसमान छूती कीमतों ने आमजन का बजट बिगाड़ दिया है। इस बेतहाशा वृद्धि से कई शहरों में पेट्रोल 110 रुपए और डीजल 100 रुपए के करीब पहुंच गया है। लेकिन जल्दी ही लोगों को पेट्रोल-डीजल की महंगाई से निजात मिल सकती है। तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) और उसके साथी उत्पादक देशों की ऑनलाइन बैठक के बाद यह संभावना जागी है।
दरअसल, रविवार को ओपेक समूह के साथ हुई इस बैठक में तेल की आपूर्ति बढ़ाने पूर्ण सहमति बनी है। इससे सप्लाई बढ़ेगी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आएगी। मालूम हो कि, देश में पेट्रोल- डीजल की कीमतों में पर कच्चे तेल के भाव में उतार चढ़ाव का सीधा असर होता है।
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OPEC+ देशों के बीच पूर्ण करार
बता दें कि, ओपेक समूह में तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के साथ रूस शामिल है। ऑनलाइन बैठक में इस करार पर सहमति बनने के बाद मजरूई ने पत्रकारों को जानकारी दी। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के ऊर्जा मंत्री सुहैल-अल-मजरूई ने रविवार को कहा कि ओपेक और संबद्ध देशों के बीच ‘पूर्ण करार’ हो गया है। इराक, कुवैत, रूस, सऊदी अरब और यूएई के तेल उत्पादन की सीमा बढ़ेगी। इससे पहले इन देशों के बीच विवाद से तेल की कीमतें प्रभावित हुई थीं।
सस्ता होने की संभावना क्यों?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, ओपेक देशों ने बैठक में यह फैसला किया है कि वह अगस्त से दिसंबर तक रोजाना 400,000 बैरल तेल का उत्पादन बढ़ाएंगे। इस तरह इस समय लागू 58 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती धीरे-धीरे 2022 के अंत तक खत्म हो जाएगी। इस फैसले के बाद 2 मिलियन बीपीडी उत्पादन को बहाल किया जा सकेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लिए पहले ही क्रूड की कॉस्ट 77-78 डॉलर से घटकर 73 डॉलर रह गई है। ऐसे में आगामी दिनों में पेट्रोल- डीजल की खुदरा कीमतों में कमी आने की उम्मीद है।
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कितना बढ़ेगा उत्पादन
रिपोर्ट की मानें तो, नई नीतियों के तहत UAE मई 2022 से प्रति दिन 35 लाख बैरल का उत्पादन कर सकेगा। जबकि पहले UAE 38 लाख बैरल/ दैनिक उत्पादन की सीमा की मांग कर रहा था। साथ ही सऊदी अरब की दैनिक उत्पादन सीमा भी 1.10 करोड़ बैरल से बढ़ाकर 1.15 करोड़ बैरल हो जाएगी। बात करें रुस की तो इस देश की उत्पादन सीमा भी करीब इतनी ही होगी। हालांकि इराक और कुवैत की दैनिक उत्पादन सीमा इससे कुछ कम रहेगी।