हिमाचल, उत्तराखंड में नई प्रौद्योगिकी से होगी केसर, हींग की खेती
हिमाचल, उत्तराखंड में नई प्रौद्योगिकी से होगी केसर, हींग की खेती
नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)। देश में अबतक केसर की खेती के लिए जम्मू-कश्मीर ही चर्चित रहा है, लेकिन अब हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे गैर-परंपरागत उत्पादक क्षेत्रों में भी केसर की क्यारियां महकेंगी।
हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर-आईएचबीटी) ने देश में हींग और केसर की पैदावार बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। यह जानकारी मंगलवार को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में दी गई।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीएसआईआर-आईएचबीटी ने केसर उत्पादन की तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के गैर-परंपरागत केसर उत्पादक क्षेत्रों में किया जा रहा है। संस्थान में रोग-मुक्त घनकंद के उत्पादन के लिए टिश्यू कल्चर प्रोटोकॉल भी विकसित किए गए हैं।
सीएसआईआर-आईएचबीटी ने नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीपीजीआर), नई दिल्ली की मदद से हींग से संबंधित छह पादप सामग्री पेश की हैं, और उसके उत्पादन की पद्धति को भारतीय दशाओं के अनुसार मानक रूप प्रदान करने का प्रयास किया है।
इन दोनों फसलों की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए अत्याधुनिक टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना की जाएगी।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ संजय कुमार ने कहा, इन फसलों की पैदावार बढ़ती है तो इनके आयात पर निर्भरता कम हो सकती है। सीएसआईआर-आईएचबीटी किसानों को इसके बारे में तकनीकी जानकारी मुहैया कराने के साथ-साथ राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों एवं किसानों को प्रशिक्षित भी करेगा। राज्य में केसर और हींग के क्रमश: घनकंद और बीज उत्पादन केंद्र भी खोले जाएंगे।
-- आईएएनएस