भारत को लिथियम-आयन बैटरी निर्माण का लक्ष्य पाने को 33,750 करोड़ के निवेश की जरूरत
लक्ष्य भारत को लिथियम-आयन बैटरी निर्माण का लक्ष्य पाने को 33,750 करोड़ के निवेश की जरूरत
- भारत को लिथियम-आयन बैटरी निर्माण का लक्ष्य पाने को 33
- 750 करोड़ के निवेश की जरूरत
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईवी) द्वारा मंगलवार को जारी एक स्वतंत्र अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, 50 जीडब्ल्यूएच लिथियम-आयन सेल और बैटरी निर्माण संयंत्र स्थापित करने के सरकार का पीएलआई लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को 33,750 करोड़ रुपये तक के निवेश की जरूरत है। देश को 2030 तक अपनी गतिशीलता और बिजली क्षेत्रों को डीकाबोर्नाइज करने के लिए 903 जीडब्ल्यूएच ऊर्जा भंडारण की जरूरत है और लिथियम-आयन बैटरी इस भारी मांग को पूरा करेगी।
सरकार ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि उसने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में 5.9 मिलियन टन लिथियम अनुमानित संसाधन स्थापित किए हैं।
भारत लिथियम-आयन बैटरी निर्माण का स्वदेशीकरण कैसे कर सकता है? विषय पर सीईईवी का अध्ययन सामग्री और वित्तीय जरूरतों की गणना करता है और घरेलू रणनीति के लिए एक खाका पेश करता है, क्योंकि भारत की मांग में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है। विश्लेषण पीएलआई योजना के तहत आवंटित न्यूनतम विनिर्माण संयंत्र क्षमता - 5 जीडब्ल्यूएच पर आधारित है। ये संयंत्र ऊर्जा-गहन भी होंगे, जिन्हें 5 जीडब्ल्यूएच संयंत्र के लिए सालाना 250 जीडब्ल्यूएच बिजली की जरूरत होती है और इसके लिए सस्ती और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति चाहिए।
सीईईडब्ल्यू के सीनियर प्रोग्राम लीड, ऋषभ जैन ने कहा, हरित भविष्य के लिए लिथियम जैसे खनिज आज तेल और गैस की तरह ही महत्वपूर्ण हैं। न केवल खनिज को सुरक्षित करना, बल्कि आवश्यक सेल की स्थापना करना भी भारत के रणनीतिक हित में है और देश के भीतर बैटरी निर्माण प्रणाली लंबे समय में अन्य देशों पर हमारी निर्भरता को कम करेगा और हमारे ग्रिड व ईवी ट्रांजिशन को शक्ति देगा। उन्होंने कहा, इस साल के बजट ने बैटरी निर्माण उपकरणों पर आयात शुल्क खत्म करके और बैटरी परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण के जरिए इन चुनौतियों का समाधान करने में भारत की रुचि दिखाई है।
घरेलू लिथियम-आयन विनिर्माण को बढ़ाने के लिए भारत को आरएंडडी निवेश को बढ़ाना चाहिए, बैटरी सेल घटक निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ऋषभ जैन ने कहा, बैटरी की समग्र मांग को पूरा करने के लिए भारत को 2022 और 2030 के बीच 969-1,452 किलोटन एनोड, कैथोड और इलेक्ट्रोलाइट सामग्री (बैटरी के लिए घटक) की जरूरत होगी। इसके लिए देश को अन्य ऊर्जा भंडारण तकनीकों को भी प्राथमिकता देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि गैर-लाभकारी नीति अनुसंधान संस्थान का अध्ययन महत्वपूर्ण खनिजों की रणनीतिक सोर्सिग पर ध्यान केंद्रित करने और प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए सभी प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन पर जोर देने की सिफारिश करता है। इसी समय, विनिर्माण प्रक्रियाओं को नवप्रवर्तन और अद्यतन करके बैटरी निर्माण की लागत को कम करना और सेल घटकों की लागत को कम करने के लिए नीतिगत परिवर्तन करना महत्वपूर्ण है।
अनुसंधान विश्लेषक ध्रुव वारियर ने कहा, बैटरियों के विकास और तैनाती का भारत की ऊर्जा परिवर्तन यात्रा पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इस समय भारत आयात पर निर्भर है, लेकिन सरकार ने पहले से ही स्वदेशी बैटरी सेल निर्माण के लिए संसाधन जुटाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, खनिज प्रसंस्करण और घटक निर्माण पर ध्यान, हालांकि सीमित है। अध्ययन रिपोर्ट का अनुमान है कि अपस्ट्रीम घटक निर्माण और सामग्री प्रसंस्करण का हिस्सा 61 प्रतिशत तक अधिक हो सकता है। आगे बढ़ते हुए भारत को कौशल, प्रौद्योगिकी के निर्माण के लिए अपनी क्षमताओं का विकास करना चाहिए।
सोर्सः आईएएनएस
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