पेट्रोल-डीजल वाहनों को बंद करने का कोई इरादा नहीं: मंत्री गडकरी
पेट्रोल-डीजल वाहनों को बंद करने का कोई इरादा नहीं: मंत्री गडकरी
- देश में हर साल 5 लाख दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख की होती है मौत
- पेट्रोल-डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने कोई समयसीमा तय नहीं
- लोगों पर जुर्माना लगाना लक्ष्य नहीं
- लोगों की जान बचाने है नियम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन बढ़ाने को लेकर नई योजनाएं ला रही है। वहीं ई- वाहन आने के बाद लोगों को डर है कि पेट्रोल डीजल वाहन बंद हो सकते हैं। फिलहाल सरकार पेट्रोल डीजल वाहनों को बंद नहीं करने वाली है। खुद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को यह बात कही।
वाहन निमार्ता कंपनियों के संगठन सियाम की 59वीं वार्षिक बैठक को संबोधित करने के दौरान संवाददाताओं के सवाल पर जवाब देते हुए गडकरी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के वाहनों को प्रतिबंधित करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गयी है। सरकार का पेट्रोल-डीजल के वाहनों को बंद करने का कोई इरादा नहीं है।
Nitin Gadkari, Minister of Road Transport Highways: There were discussions the ministry had received suggestions that petrol-diesel vehicles be banned. I would like to clearify that govt does not intend to ban petrol diesel vehicles. We aren"t going to do anything like that pic.twitter.com/8CfTEmKHIy
— ANI (@ANI) September 5, 2019
ऐसे लागू हुआ नया नियम
वहीं देश में नए मोटर वाहन अधिनियम लागू करने को लेकर कहा कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि मोटर व्हीकल संशोधन कानून को 20 राज्यों के परिवहन मंत्रियों की समिति जिसमें 7 अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की सरकारें थी, की सिफारिशों के आधार पर ही इसे तैयार किया गया और लागू किया गया। इसके साथ ही संयुक्त समिति और स्थाई समिति से भी सुझाव लिए गए थे तब संसद में पारित किया गया।
हर साल डेढ़ लाख मौतें
आपको बता दें कि बीते दिनों अधिक चालान के चलते सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि गडकरी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि सरकार की इच्छा जुर्माना ज्यादा रखने की बिल्कुल नहीं है। सरकार चाहती है कि दुर्घटनाएं कम हों ताकि लोगों की जान बच सके। उन्होंने बताया कि देश में 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती है डेढ़ लाख मौतें हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि 18 से 35 आयु के 60 फीसदी की मौत हो जाती है क्या इनकी जान नहीं बचानी चाहिए। सरकार की ऐसी मंशा नहीं है कि ज्यादा जुर्माना लगाया जाए लेकिन लोग ऐसी स्थिति आने ही नहीं दें कि जुर्माना लगे।