बच्चे पैदा करने के लिए न नर की जरुत है और न ही मादा की, वैज्ञानिको ने बनाया सिंथेटिक भ्रूण
अजब -गजब बच्चे पैदा करने के लिए न नर की जरुत है और न ही मादा की, वैज्ञानिको ने बनाया सिंथेटिक भ्रूण
डिजिटल डेस्क, भोपाल। क्या आप सभी जानते हैं, कि अब बच्चे पैदा करने के लिए न नर की जरुत होगी और न ही मादा की। जी हां कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उन्होंने चूहे का सिंथेटिक भ्रूण को बना लिया है। अब न नर के स्पर्म की जरुरत होगी, न मादा के अंडो की । इसी के साथ बच्चे पैदा करने के लिए किसी गर्भ की जरुर नहीं होगी। क्या किसी भी जीव या इंसान के नर और मादा बिना संबंध बनाए सिंथेटिक बच्चे पैदा करेंगे? क्या उन बच्चों के साथ आपका लगाव उसी प्रकार से बन पाएगा?
सिंथेटिक भ्रूण से अंगों का निर्माण किया जाएगा
वैज्ञानिक इन सिंथेटिक भ्रूण को बना कर काफी खुश हैं। क्योंकि यह मेडिकल साइंस की दुनिया में एक बड़ा चमत्कार करना चाहते हैं। अगर ये सिंथेटिक भ्रूणों सही तरीके से काम कर गया तो भविष्य में लोगों को कई तरह की बीमारियों और दिक्कतों को सामना नहीं करना पड़ेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर सब कुछ ठीक रहा तो भ्रूण के अंदर शरीर के अलग-अलग हिस्सों की कोशिकाओं को तैयार किया जाएगा। जिनसे अंग विकसित किए जा सकते हैं। इन अंगों का उपयोग उन लोगों के लिए हो सकता है, जिन्हें जरुरत है। जैसे किसी को किडनी, लिवर, दिल या आंतों की जरुरत होती है।
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— IFLScience (@IFLScience) August 22, 2022
असल में वैज्ञानिकों का चूहे के सिंथेटिक भ्रूण बनाने के पीछे मकसद यह है- कि वो अंगों की कमी को पूरा कर सकें। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि वे इस सिंथेटिक भ्रूण से बच्चे नहीं पैदा करेंगे। वो सिर्फ भ्रूण से जरुरत के मुताबिक अंगों का निर्माण करेंगे। जिसे की दुनिया भर में जो अंगों की कमी हो रही हैं, वो पूरी हो जाए।
भविष्य में ठीक की जा सकती है कई तरह बीमारियां
वैज्ञानिको का कहना हैं, की हमें भी उतना ही वक्त लगेगा भ्रूण को विकसित करने में जितना इंसान के शरीर में लगता एक भ्रूण को विकसित होने में करीब 40 से 50 दिन में यह सिंथेटिक भ्रूण बन जाएगा जिनके अंदर शरीर के छोटे-छोटे अंग को विकसित किया जाएगा। इस के बाद जरुरत के मुताबिक अंगों को विकसित करके डोनेट किया जाएगा। हेल्थ रिसोर्सेस एंड सर्विसेज एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक अमेरिका में इस समय करीब 1.06 लाख लोगों को अंग की जरुरत है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हम ऐसा कर के बस इंसानों की मदद करना चाहते हैं जिन्हें अंगों की जरुरत है।