चिल्का झील में नजर आए विलुप्ती की कगार पर पहुंचे, दो नए प्रजाति के जीव
अजब-गजब चिल्का झील में नजर आए विलुप्ती की कगार पर पहुंचे, दो नए प्रजाति के जीव
डिजिटल डेस्क, भुवनेश्वर। ओडिशा की चिल्की झील एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। जहां पर हर साल लाखों प्रवासी पक्षी व जीव आते रहते हैं। वैज्ञानिक लगातार नए-नए पक्षियों और उनकी प्रजातियों की खोज और सर्वे करते रहते हैं। सर्वे के दौरान वन्यजीवों की प्रजातियों की गणना की जाती है जिसमें कई दुर्लभ वन्य जीव पाए जाते हैं जो बढ़ते शहरीकरण व कई अन्य कारणों से विलुप्त होने की कगार पर है।
वहीं चिल्का झील (लैगून) में वनस्पति तथा वन्यप्राणी सर्वे, 2022 के दौरान पहली बार विलुप्त होने के कगार पहुंच चुकीं बत्तख और यूरेशियन ऊदबिलाव का एक झुंड देखा गया था। हाल ही में किये गए सर्वे में बताया गया है की इन दोनों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। तथा सर्वे से मिली जानकारी के अनुसार चिल्का के मंगलजोड़ी के दलदली इलाके में लाल गर्दन वाले वेडर और ऊनी गर्दन वाले सारस भी देखे गए हैं।
रम्भा खाड़ी क्षेत्र में इस वर्ष 156 डॉलफिन देखी गई है जो की डॉलफिन की एक अच्छी संख्या बताई जा रही है। इस सर्वे के मुताबिक, डॉल्फिन अब चिल्का लैगून के क्षेत्रों में अपने रहने का ठिकाना बना रही हैं, जहां पर समुद्री, खारे और मीठे पानी के इको-सिस्टम का एक बेहतरीन संयोजन है। लैगून में करीब 155 से 165 डॉल्फिन और 10.5 लाख जल पक्षी हैं जो 105 अलग-अलग प्रजातियों से हैं। लैगून झील में वनस्पति तथा वन्यप्राणी सर्वे 2022 के विकास प्राधिकरण(सीडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि पहली बार विलुप्त होने के कगार पहुंच चुकी बत्तख और यूरेशियन ऊदबिलाव का एक झुंड देखा गया था।
उन्होंने कहा कि झील ने खुद को जैव विविधता के आकर्षण के केंद्र और लुप्तप्राय प्रजातियों के आश्रय के रूप में फिर से स्थापित किया है भारत में इरावदी डॉल्फिन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत रिपोर्ट में बताया गया है कि सर्वेक्षण के दौरान पहली बार लगभग 1,000 खतरे में पड़ी यानी विलुप्ती की कगार पर पहुंची बत्तखों को देखा गया था। इसके अलावा नलबाना पक्षी अभ्यारण्य में 2000 से ज्यादा राजहंस भी देखे गए थे।ट्रांजैक्ट सर्वे मेथड द्वारा वार्षिक सर्वेक्षण का आयोजन किया था, जिसका पूरी दुनिया में पालन किया जाता है। इस सर्वेक्षण में इस साल जनवरी की शुरुआत में चिल्का वन विभाग द्वारा किए गए वाटर बर्ड जनगणना की तुलना की गई। इस सर्वेक्षण में 103 प्रजातियों के 10,36,220 पक्षी देखे गए थे। एक दिवसीय सर्वेक्षण के दौरान अकेले सिर्फ नलबाना पक्षी अभयारण्य में ही 75 प्रजातियों के कुल 2,86,929 पक्षी देखे गए थे।