वैज्ञानिक के हाथ लगी बड़ी शोध मरे हुए इंसानो को दोबारा जिंदा करने का किया दावा, छ: सौ लोगों ने फ्रीज कराई डेड बॉडी

नई दिल्ली वैज्ञानिक के हाथ लगी बड़ी शोध मरे हुए इंसानो को दोबारा जिंदा करने का किया दावा, छ: सौ लोगों ने फ्रीज कराई डेड बॉडी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-01 13:58 GMT
वैज्ञानिक के हाथ लगी बड़ी शोध मरे हुए इंसानो को दोबारा जिंदा करने का किया दावा, छ: सौ लोगों ने फ्रीज कराई डेड बॉडी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर दिन एक नए उपलब्धियों के जैसा ही है। दुनियाभर में हर रोज नई-नई आविष्कार के बारे में सुनने को मिलता रहता है। जिसके पीछे हजारों से भी ज्यादा वैज्ञानिक शोध करते हुए नजर आते हैं। विज्ञान पूरी दुनिया में पैर पसार चुका है और अपने नए प्रयोग से लोगों को हैरान करता है। भले ही विज्ञान हर जगह पहुंच चुका हो लेकिन अभी इंसान को जिंदा कर पाने में सफलता हासिल नहीं कर  सका है। इस जगह पर विज्ञान भी अपनी हार स्वीकार कर लेता है।

यह प्राकृतिक चीज है कि जिस किसी ने जन्म लिया है उसे एक दिन मरना भी होगा। लेकिन कुछ कंपनियां यह दावा कर रही है कि इंसान की मृत्यु के बाद उसे दोबारा जिंदा किया जा सकता है, इस तकनीक को क्रायोनिक्स कहा जाता है। जिसके लिए मरे हुए शख्स को लंबे समय तक फ्रीज में सुरक्षित रखना होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोई भी मरा हुआ शख्स सिर्फ बेहोश होता हैं। लेकिन क्रायोनिक्स तकनीक के सहारे मरे हुए लोगों को एक बार फिर जिंदा किया जा सकता है। इसका चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। दुनियाभर में देखा जाए तो अब तक छ: सौ लोगों ने इस तकनीक के माध्यम से शव को सुरक्षित कर फ्रीज करवाए हैं। रुस व अमेरिका से सबसे ज्यादा लोगों ने मृत शरीरों को फ्रीज में रखवाया है।

क्रायोनिक्स तकनीक क्या है

ऑस्ट्रेलियाई कंपनी सर्दन क्रायोनिक्स ने हाल ही में यह दावा किया था कि वो लोग इंसानों के मृत शरीर को दो सौ डिग्री सेल्सियस की तापमान पर सुरक्षित कर फ्रीज पर रखेंगी। आगे भविष्य में अगर ऐसी कुछ तकनीक बनाई गई जिससे मरे हुए इंसानों को फिर से जिंदा किया जा सकता है तो इन स्टोर किए गए लाशों को बाहर निकाल कर जिंदा किया जाएगा। 

अमेरिका के एक वैज्ञानिक ड़ॉ आर गिब्सन ने कहा कि फिलहाल तकनीक के जरिए इंसान को जिंदा करने का कोई तरीका विकसित नहीं किया जा सका है। ऐसे में लोग इस उम्‍मीद में अपने शरीर को फ्रीज करा रहे हैं कि भविष्‍य में मरे हुए लोगों को फिर से जिंदा करने की कोई तकनीक विकसित होगी और उन्‍हें नया जन्‍म मिलेगा।  

कहां- कहां बनाई गई है लैब्स

न केवल अमेरिका और रुस बल्कि भारत में भी कई नई कंपनियां क्रायोनिक्स तकनीक के लैब्स बना रही हैं। भारत में मृत शरीर को फ्रीज में रखने के लिए किसी प्रकार की स्पष्ट कानून नही है और ऐसा करने के लिए न्यायलय से मंजूरी लेनी पड़ेगी जो बेहद मुश्किल है। कुछ साल पहले ही एक संत के शव को फ्रीज में रखे जाने के चलते बहुत विवाद खड़ा हो गया था। 

हालांकि, वर्ष 2016 में एक कैंसर पीड़ित किशोरी ने लंदन के एक हाईकोर्ट में अपील दायर करते हुए कहा था कि उसकी मौत जल्द ही हो सकती है। लिहाजा उसे फिर से जीने का अधिकार मिलना चाहिए। किशोरी के परिवार को इस पर पूरा भरोसा था कि आने वाले समय में कुछ ऐसी तकनीक विकसित होगी जिससे लोगों को बार फिर जिंदा किया जा सकेगा और बेटी को एक बार फिर से नया जीवन जीने को मिल जाएगा। 

कितने पैसे खर्च करने होगें

क्रायोनिक्स प्रोसेस जानने के बाद यह प्रश्न आता है कि इस पूरी प्रक्रिया में कितने पैसे खर्च होगें। मृत शरीर को फ्रीज में सुरक्षित करके रखने के लिए लगभग एक करोड़ रुपयों से ज्यादा का खर्च करना पड़ सकता है। मृत शरीर को तरल नाइट्रोजन में 200 डिग्री सेल्सियस तापमान पर एक स्टील के चैंबर में बंग कर देते हैं। ऑस्ट्रेलियाई कंपनी सदर्न क्रायोनिक्स के अनुसार शव को स्टील चैंबर में उल्टा कर रखा जाता है। जिससे चैंबर लीक होने की स्थिति में ब्रेन के सुरक्षित रहने की उम्मीद ज्यादा रहती है। कंपनी की मानें तो मृत्यु एक सतत प्रक्रिया है, ऐसे में अगर किसी भी शख्स की मौत हो जाती है तो उसके शव को जितनी जल्द फ्रीज में रख दिया जाएगा तो उसे जिंदा होने की उम्मीद भी बढ़ जाएगी। 

  

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