नई खोज नाक से ही नहीं मलद्वार से भी ले सकते हैं सांस, वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला दावा, पर अभी ऐसी कोशिश न करें

अजब -गजब नई खोज नाक से ही नहीं मलद्वार से भी ले सकते हैं सांस, वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला दावा, पर अभी ऐसी कोशिश न करें

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-23 06:07 GMT
नई खोज नाक से ही नहीं मलद्वार से भी ले सकते हैं सांस, वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला दावा, पर अभी ऐसी कोशिश न करें

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कई जानवर सांस लेने के लिए मलद्वार का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इसके कई अपवाद भी हैं, बताया जाता है, कि कैटफ़िश, लोचे मछली, और मकड़ियों को अपने वातावरण में ऑक्सीजन की कमी होने पर आंतों से सांस लेनी पड़ती है। जापान के वैज्ञानिकों ने इस बात को सच भी साबित कर दिया है कि कुछ जानवर अपने मलद्वार से भी सांस ले सकते हैं। इस खोज से वैज्ञानिकों उन लागों को राहत दिला दी है,जिन लोगों को सांस लेने में परेशानी से जूझना पड़ता हैं। क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल रिसोर्स एंड टेक्नोलॉजी इनसाइट के जर्नल में भी इस खोज को पब्लिश किया गया है। 

टोक्यो यूनिवर्सिटी में भी हुआ था शोध

टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी  के वैज्ञानिकों ने  एक रिसर्च में पाया कि चूहों और सूअरों के रक्त में ऑक्सीजन की पूर्ति उनके मलद्वार से हो रही है। इस टेक्नीक को आंत्र वेंटिलेशन के नाम से जाना जाता है। यह सुनने में आप को थोड़ा अजीब लग रहा होगा। आने वाले समय में जिन लोगों को सांस लेने में गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए रामबाण साबित हो सकता है। डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, CTRTI जर्नल में बताया गया है कि वैज्ञानिकों  ने कछुओं के धीमे मेटाबॉलिज्म के आधार पर सूअरों और चूहों पर कई प्रयोग किए गए। 


इस शोध में वैज्ञानिकों ने म्यूकोसल लाइनिंग को पतला करने के लिए चूहे और सूअर जैसे जानवरों की आंतों को स्क्रब किया। इसने रक्त संचार में आने वाली दिक्कतें कम हो गईं। ऐसा करने से जानवरों की आंतें साफ़ हो गईं।  इसके बाद उन्हें ऑक्सीजन की कमी वाले एक कमरे में रखा गया। इस प्रयोग में यह देखा गया की 75 फीसदी ऐसे जानवर जिनको साफ किया गया था और जिन्हें दबाव में ऑक्सीजन मिला था वो एक घंटे तक जिंदा रहे। इसे यह पता चलता है,कि चूहे और सूअर सही परिस्थितियों में आंतों से सांस लेने के काबिल हैं। इससे ये माना जा रहा है कि अन्य स्तनधारी भी मलद्वार से सांस लेने में सक्षम हो पाएंगे।  

वैज्ञानिकों ने बताया है,कि इसे कोई खुद से करने की कोशिश न करे। अभी वैज्ञानिक इससे भी ज्यादा आसान तरीके की खोज में लगे हुए हैं। सांस लेने में होनो वाली दिक्कत से परेशान होने वालों की मदद कर सकें। इसलिए अभी इंसानों पर इस का परीक्षण नहीं किया गया है। न ही को लेकर किसी तरह की प्लानिंग चल रही है। 

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