धरती के नर्क द्वार को किया जाएगा अब बंद, जाने कहां स्थित है यह दरवाजा
अजब-गजब धरती के नर्क द्वार को किया जाएगा अब बंद, जाने कहां स्थित है यह दरवाजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पृथ्वी पर न जाने कितनी ऐसी जगहें हैं जो अपने आप में हजारों रहस्यों को समेटे हुए है। आइए आपको आज एक ऐसी ही जगह के बारे में बताते हैं जिसका नाम सुनकर ही आप चौंक जाएंगे। धरती पर एक ऐसी जगह है जहॉ पिछले कई साल से लगातार विशाल गड्ढेनुमा जगह पर आग धधक रही है। बता दें कि इस जगह को धरती पर नर्क का द्वार भी कहते हैं। लेकिन अब इस देश के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि इस आग को बुझाने और इस गड्ढे को बंद करने के लिए जो भी प्रयास किया जा सकते है, उसे तत्काल शुरु किया जाए।
क्या है नर्क का दरवाजा
धरती पर यह नर्क तुर्कमेनिस्तान देश के कारकुम रेगिस्तान पर स्थित है। यह पिछले 50 साल से लगातार बना हुआ है। कारकुम रेगिस्तान में स्थित यह 229 फीट चौड़ा और 66 फीट गहरा गड्ढा मीथेन गैस की रिसाव की वजह से लगातार जल रहा है। नर्क का द्वार कहे जाने वाले इस गड्ढे को दरवाजा गैस क्रेटर भी कहा जाता है। तुर्किमेनिस्तान के कराकुम रेगिस्तान में इसे लोग नर्क का दरवाजा भी बुलाते हैं, क्योंकि यह जहां है, उसके पास में दरवाजा नाम का गांव भी है। पिछले 50 सालो से कुएं जैसी जगह पर सिर्फ आग ही आग दिखाई देती आ रही है। हालांकि कई लोगों के लिए यह पर्यटन का केंद्र भी है और लोग कई दशकों से जल रहे इस गड्ढे को देखने आते हैं।
जाने कैसे बना नर्क का दरवाजा
यह आग 1971 से लगातार जल रही है और इसकी हकीकत थोड़ी अजीब है। जब सोवियत रूस के वैज्ञानिकों ने यहां मौजूद गैस के बारे में जानने के लिए खुदाई शुरु की थी। कहा जा रहा है कि वैज्ञानिकों के खुदाई के दौरान गड्ढे को खोदने वाला यंत्र उसमें गिर गिया जिसके बाद से उस गड्ढे से मीथेन गैस निकलनी शुरू हो गई। वैज्ञानिकों ने मीथेन गैस को वातावरण में फैलने से रोकने के लिए इसमें आग लगा दी और तब से यह जल रहा है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर हो रहा है दुष्प्रभाव
राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव ने कहा कि इंसानों की गलत हरकत की वजह से बना यह गड्ढा हमारे पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। मीथेन गैस की वजह से जल रही आग से भी बुरी और बेहोश करने वाली दुर्गंध आती है। ज्यादा देर यहां खड़े रहने से तबियत बिगड़ सकती है। इसके आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों की सेहत बिगड़ती जा रही है। साथ ही देश का संसाधन भी खत्म हो रहा है। उन्होने कहा कि इस आग की गर्मी का उपयोग देश में उर्जा उत्पादन के लिए किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने तत्काल गड्ढा बंद करने का आदेश दिया
राष्ट्रपति गुरबांगुली ने इस गड्ढे की वजह से हो रहे पर्यावरणीय नुकसान और पैसों के नुकसान का हवाला देते हुए इसे बंद करने का आदेश दिया है। ऐसी स्थिति को देखते हुए अब इस देश के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव ने अधिकारियों को आदेश दिया कि इस आग को बुझाने और इस गड्ढे को बंद करने के लिए जो भी प्रयास किया जा सकते हैं, उसे तत्काल शुरु किया जाए। हॉलाकि इस आग को बुझाने का प्रयास पहले भी किया गया था, लेकिन उसमें असफलता ही मिली। साल 2010 में भी कई एक्सपर्ट्स द्वारा भी इस गड्ढे को बंद करने के प्रयास भी असफल रहे। लगातार निकल रही मेथेन गैस से धधकती आग को बुझाने के लिए कई प्रयास असफल हो रहे है। फिर भी इस आग को बुझाने के लिए अब हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।