कभी सोचा है अंग्रेजों के शासन के बिना कैसा होता भारत
कभी सोचा है अंग्रेजों के शासन के बिना कैसा होता भारत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंग्रेजों के शासन करने से पहले भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। कई क्षेत्र के राजाओं का सपना भारत में बसने का था। कहा जाता है कि, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया भर के देशों के मुकाबले कई गुना ज्यादा अच्छी थी। मगर अंग्रेजों के शासन के बाद भारत का कायाकल्प ही हो गया। कभी सोचा है कैसा होता हमारा देश अगर अंग्रेज नहीं करते शासन।
भारत की अर्थव्यवस्था थी सबसे ऊपर
आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत की अधिकांश संपत्ति पर कब्जा कर लिया था। 1993 में, बेल्जियम अर्थशास्त्री ने विश्व अर्थव्यवस्था का डिटेल्ड अध्ययन किया। उनके अध्ययन के मुताबिक, भारत में 1750 में दुनिया की अर्थव्यवस्था का 25 प्रतिशत हिस्सा था, और उस समय ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका का संयुक्त हिस्सा केवल दो प्रतिशत ही था।
भारत की अर्थव्यवस्था हो गई थी कमजोर
भारत शुरू से ही शांतिपूर्ण देश रहा है, लेकिन अंग्रेजों की रणनीतियों की वजह से देश को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होना पड़ा था। लगभग 20 लाख से उपर भारतीय सेना ने अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई लड़ी थी। इस युद्ध की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो गई थी।
सती प्रथा पर लग गई थी रोक
अच्छी बात ये है कि सती प्रथा अंग्रेजों की वजह से खत्म हुई थी। मुगल राजा जैसे अकबर और औरंगजेब ने भी इस प्रथा को रोकने की कोशिश की थी मगर वो असमर्थ रहे। 1829 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत के कुछ क्षेत्र से ये कुप्रथा हट गई थी। ये चीज मुमकिन नहीं हो पाती अगर अंग्रेज नहीं होते तो।
खो दिया था भारत ने बेशकिमती कोहिनूर
लाहौर की अंतिम संधि पर दूसरे एंग्लो-सिख युद्ध के बाद हस्ताक्षर किए गए थे। जिसके परिणामस्वरूप कोहिनूर रानी विक्टोरिया के हाथों में चला गया था। ब्रिटिश शासन के दौरान भारत का ये सबसे बड़े नुकसान में से एक था।
अंग्रेज ना होते तो ना होती रेलवे
अंग्रेज ही थे जिनकी वजह से भारत में रेलवे कि शुरुआत हुई थी। इसके परिणामस्वरूप परिवहन में सुधार हुआ जो हम सभी अभी भी उपयोग कर रहे हैं। अगर अंग्रेजों ने भारत में आकर रेलवे की शुरुआत नहीं की होती तो रेलवे का विकास धीमा हो जाता।
अंग्रेजों ने शुरू की संसदीय व्यवस्था
भारत पर मुगलों और अन्य राजाओं द्वारा शासन किया गया था, और ब्रिटिश शासन से पहले भारत में लोकतंत्र का कोई संकेत नहीं था। अंग्रेजों ने भारत में संसदीय चुनाव शुरू किए जिसके द्वारा मूल आबादी लोकसभा के लिए मतदान करने लगी थी। भारत में संसदीय व्यवस्था अंग्रेजों की देन है।