70 करोड़ की जायदाद के मालिक हैं गुजरात के ये कुत्ते

70 करोड़ की जायदाद के मालिक हैं गुजरात के ये कुत्ते

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-09 08:59 GMT

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। अब इंसान ही नहीं कुत्ते भी करोड़ों रुपए के मालिक बन गए हैं। एक कुत्ता एक करोड़ रुपए का मालिक है। ये कुत्ते किसी फिल्म या कहानी के नहीं बल्कि गुजरात के हैं। आपको एक बार सुनने में यकीन नहीं होगा लेकिन ये बिल्कुल सच है। दरअसल मामला गुजरात के मेहसाणा में स्थित पंचोट गांव का है। यहां एक 70 कुत्ते एक ट्रस्ट की देखरेख में रहते हैं और सब के सब करोड़पति हैं। 
 


 

 

कुत्तों के कल्याण के लिए संस्था "मध नी पती कुतरिया"


कुत्तों के कल्याण के लिए गांव में एक संस्था बनाई गई है जिसका नाम "मध नी पती कुतरिया" है। इस संस्था के पास लगभग 21 बीघा जमीन है। मगर इस जमीन से होने वाली सारी आय इन कुत्तों के नाम कर दी जाती है। दरअसल बात ये है कि इसी के पास मेहसाणा बायपास बनने की वजह से जमीन की कीमतें सोने के भाव के बराबर हो गई हैं। यहां पर जमीन की कीमत 3.5 करोड़ रुपये प्रति बीघा तक पहुंच गई है। ऐसे में संस्था की 21 बीघा जमीन की कीमत 70 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इस जमीन से होने वाली इनकम कुत्तों के लिए ही है। इस तरह देखा जाए तो संस्था की देखरेख में रहने वाला हर एक कुत्ता लगभग एक करोड़ रुपये का मालिक है।


 


 

रोचक है इस गांव का इतिहास 


इस गांव में बहुत पहले से ही कुत्तों की देखरेख और जमीन दान की खास परंपरा है। कुत्तों के कल्याण के लिए जमीन दान करने की परंपरा को कुतारियु कहा जाता है। ट्रस्ट के अध्यक्ष छगनभाई पटेल के मुताबिक गांव में जीवदया का बहुत पुराना इतिहास है। इसकी शुरुआत अमीर परिवारों ने की थी। वो लोग जिस जमीन की देखरेख नहीं कर पाते थे उस जमीन दान में दे देते थे। उन्होंने कहा कि पहले जमीन इतनी महंगी नहीं होती थी लेकिन अब लगातार हो रहे विकास और निर्माण कार्यों की वजह से जमीन की कीमतें काफी बढ़ गई हैं।
 

 

 

दान की हुई जमीन वापस नहीं लेते


हालांकि दान की जा चुकी जमीनें अभी भी मालिकों के नाम पर ही हैं लेकिन जमीनों के दाम बढ़ने के बाद भी मालिकों ने कभी जमीन पर दावा नहीं किया। भले ही उनकी आर्थिक स्थिति कितनी भी खराब रही हो। यहां माना जाता है कि सामाजिक कार्य के लिए दान की हुई जमीन को वापस नहीं ली जाती। 
 

 

 

किसानों ने शुरू की थी जमीन की देखभाल


लगभग 80 साल पहले कुत्तो के लिए दान में मिली इस जमीन की देखभाल पटेल जाति के किसानों ने शुरू की थी। हर साल फसल बुवाई के सीजन से पहले जमीन की नीलामी की जाती है। जो सबसे ज्यादा रकम देता है उसे एक साल तक इस जमीन पर खेती किसानी करने का अधिकार मिल जाता है। इस जमीन से होने वाली कमाई से कुत्तों की देखभाल की जाती है। जानकारी के मुताबिक नीलामी से करीब एक लाख तक की रकम मिलती है जिसे कुत्तों की सेवा में खर्च किया जाता है। 


 

 


कुत्तों के लिए बनाया गया है ‘रोतला घर’ 


इस खर्च में कुत्तों के रहने खाने के की व्यवस्था के साथ ही उनके स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। इस ट्रस्ट ने कुत्तों के खाने-पीने की व्यवस्था के लिए एक रोतला घर बनाया है। इसमें दो महिलाए कुत्तों के खाने के लिए रोतला तैयार करती हैं। इसके लिए हर दिन लगभग 20 से 30 किलो आटे की खपत होती है। 
 

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