नगरीय निकायों द्वारा वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है स्लज/कीचड़ का निष्पादन!

Sludge / sludge execution is being done in a scientific manner by the urban bodies.
नगरीय निकायों द्वारा वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है स्लज/कीचड़ का निष्पादन!
नगरीय निकायों द्वारा वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है स्लज/कीचड़ का निष्पादन!

डिजिटल डेस्क | देवास नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि स्वच्छ भारत अभियान ने जहाँ हमें स्वच्छता के प्रति जागरूक किया है, वहीं प्रदेश की नगरीय निकायों ने स्वच्छता के क्षेत्र में जो गति लाई है वह सराहनीय है। स्वच्छता के पहले पायदान पर घर-घर शौचालय व्यवस्था सुनिश्चित की गई। वहीं सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों में भी शीटों का रूपान्तरण कर इन शौचालयों को आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित करने का काम किया है। नगरीय निकाय अपने शहर को स्वच्छ रखने में वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करते हुये नागरिकों को उच्च स्तरीय सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं इन सुविधाओं से उत्पन्न कचरे के प्रबंधन एवं दीर्घकालिक समाधान पर भी अधिक जोर दिया जा रहा है।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि स्वच्छता का सही अर्थ तभी है जब हम अपने व आस-पास के क्षेत्र को साफ व स्वच्छ रखें। प्रदेश के सभी नगरीय निकाय शहर को स्वच्छ रखने में जिम्मेदारी पूर्वक कार्य कर रहे है। वहीं उत्पन्न कचरे के उपचार हेतु स्थायी समाधान किये जा रहे हैं। हम सभी की जिम्मेदारी है कि अपने नगर को स्वच्छ बनाये रखें। स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत एक कदम आगे बढ़ाते हुये मल-कीचड प्रबंधन में बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करने के लिये, निकायों ने अपने शहरों के लिये प्रभावी कार्य किया है। इन प्रयासों से जहाँ शहरों में गंदगी दूर हुई है वहीं गंदगी से होने वाली अनेकों बीमारियों में कमी आयी है तथा शहर के जमीन के भीतर का पानी भी दूषित होने से बचाया जा रहा है।

सरकार ने सुनिश्चित किया कि शौचालयों से निकलने वाले मल-कीचड़ का प्रबंधन वैज्ञानिक विधि से हो, इस हेतु निकायों को जिम्मेदारी सौपी गई। निकायों द्वारा मल कीचड़ के व्यवस्थित उपचार के लिए फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया। प्लांटों में घरों एवं सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों के सेप्टिक टैंकों से निकलने वाले मल को यांत्रिक उपकरणों के सहयोग से टैंकर में एकत्र कर ट्रीटमेंट प्लांट में लाया जाता है। इस प्लांट में वैज्ञानिक विधि से निर्मित बैंड/टॉर्क में मल-कीचड़ को रखा जाता है। इसमें कुछ दिनों तक रखने के बाद स्लज/कीचड से पानी एवं ठोस अलग-अलग हो जाता है। निकले हुये पानी को और अधिक साफ करने के लिए केली पेड़ की जड़ों से प्रवाहित किया जाता है।

निकले हुये इस पानी का उपयोग पेड़ पौधों हेतु किया जा रहा है। बचे हुये ठोस केक के रूप होता है, जिसे निकालकर कम्पोस्ट खाद के साथ मिलाया जाता है। यह पौधों के लिए बहुत उपयोगी है। इस विधि से न ही गंदगी फैलती है और न ही इससे भूजल दूषित होता है। शहरों में निर्मित शौचालयों के सेप्टिक टैंकों को क्रमानुसार खाली करने का कार्य निरन्तर जारी है। शहरों को संवहनीय रूप से स्वच्छ बनाये रखने में पूर्ण जन-सहयोग भी मिल रहा है। यही कारण है कि स्वच्छ भारत मिशन सही अर्थों में एक जन आंदोलन बन सका है।

Created On :   4 May 2021 3:01 PM IST

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