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सिख दंगे के आरोपी की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहन कर स्वर्ण मंदिर पहुंचा कांग्रेस नेता, मामले ने पकड़ा तूल, एसजीपीसी ने दर्ज कराई एफआईआर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यकर्ता करमजीत सिंह गिल की एक फोटो सामने आई है जिसमें स्वर्ण मंदिर के परिसर में खड़े दिखाई दे रहे हैं। उनकी जो तस्वीर सामने आई है जिसमें उन्होंने सिख दंगों के आरोपी जगदीश टाइटलर की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहन रखी है। इस तस्वीर के सामने आने के बाद अब मामले को लेकर बवाल बढ़ गया है। करमजीत सिंह की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।
दरअसल इस मामले को लेकर शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटी ने पुलिस में शिकायत दर्ज करया है। एसजीपीसी ने इसे उकसावे वाली कार्रवाई बताते हुए कड़ी निंदा की है। वहीं एसजीपीसी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि जगदीश टाइटलर सिंख दंगों के मुख्य आरोपी थे, और उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में गुरुद्वारों का प्रबंधन एसजीपीसी की ओर से ही किया जाता है।
धामी ने कहा कि जगदीश टाइटलर की तस्वीर वाली टीशर्ट पहनकर गुरुद्वारे में आना सिखों को उकसाने की कार्रवाई है। धामी ने यह भी कहा कि यह पूरी तरह से एक सुनियोजित साजिश है। आगे उन्होंने कहा यदि कांग्रेस का एक नेता इस तरह की हरकत गुरुद्वारे में करता है तब यह सोची-समझी साजिश लगती है।
धामी ने कांग्रेस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही सिख विरोधी रही है। कांग्रेस के नेता ने एक बार फिर से सिखों की भावनाओं को आहात किया है। धामी ने कहा कि स्वर्ण मंदिर दुनिया में सिखों की आस्था का केन्द्र है। ऐसे पवित्र स्थान पर सिखों की भावनाओं को ठेस पंहुचाया जा रहा है यह स्वीकार नहीं किया जा सका।
कौन है जगदीश टाइटलर?
काग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर पर सिख विरोधी दंगे भड़काने का आरोप है।सिख दंगों में शामिल होने के सबूत मिलने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि वह दंगों में अपनी भूमिका से इंकार करते रहे हैं।
बता दें टाइटलर कांग्रेस के युवा संगठन में सक्रिय रहे और फिर संजय गांधी के शिष्य के रूप में काम करने लगे। 1980 में वे लोकसभा के सदस्य चुने गए। उन्होंने नागर विमानन मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री के तौर पर कार्य किया। 1991 में वे फिर लोकसभा सदस्य चुने गए और सड़क परिवहन राज्य मंत्री के तौर पर कार्य किया। 2004 में वे फिर लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वर्तमान में वह दिल्ली कांग्रेस कमेटी की सदस्य भी हैं।
क्या थे सिख दंगे?
1984 के सिख-विरोधी दंगे भारतीय सिखों के विरुद्ध दंगे थे जो इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए थे। इन्दिरा गांधी की हत्या उन्हीं के अंगरक्षकों ने कर दी थी जो कि सिख थे। सरकार के आंकड़ो की माने तो इस दंगे में दिल्ली में लगभग 2,800 सिख मारे गए और देश भर में 3,350 सिख मारे गए। इंदिरा गांधी की मृत्यु पर सार्वजनिक आक्रोश, सिखों की हत्याओं का कारण बना।
Created On :   18 Aug 2022 9:40 AM GMT