इस्तीफा देकर पवार ने एक तीर से साधे कई निशाने, साबित किया खूटा मजबूत आहे

इस्तीफा देकर पवार ने एक तीर से साधे कई निशाने, साबित किया खूटा मजबूत आहे
मराठी में एक कहावत है "खुट्टा हलवून बलकट केला' यानि खुटे की मजबूती चेक करने के लिए उसे हिला कर देखना। राकांपा सुप्रीमों शरद पवार के अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर एक वरिष्ठ पत्रकार ने यह टिप्पणी की थी। तीन दिन तक चले इस्तीफों के दौर और इस्तीफे को लेकर कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद आखिरकार पवार का फिलहाल राकांपा अध्यक्ष पद पर बने रहना तय हुआ।

डिजिटल डेस्क, विजय सिंह "कौशिक'। बीते 2 मई को यशवंत राव चव्हाण प्रतिष्ठान में शरद पवार ने अपनी संसोधिक आत्मकथा के विमोचन के मौके पर बड़ा धमाका किया। पवार ने राकांपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा क्या कि पार्टी के कार्यकर्ता उबल पड़े। राज्यभर में पार्टी के नेताओं-पदाधिकारियों के इस्तीफों का दौर शुरु हो गया। नए अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए भारी भरकम समिति भी बना दी गई। पवार के इस्तीफे के चार दिन बाद नए अध्यक्ष चुनने के लिए बनी समिति ने इस्तीफा स्वीकार करने से मना कर दिया है। इससे पवार के फिर से राकांपा अध्यक्ष पद संभालने की उम्मीद बढ़ गई है। पिछले कुछ दिनों से राकांपा के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार के भाजपा के साथ जाने को लेकर अटकले चल रही थी। अजीत की सफाई के बाद भी यह अटकले थमने का नाम नहीं ले रही थी।



राष्ट्रीय महत्व पर लगी मुहर

पवार के इस्तीफे के बाद जिस तरह राष्ट्रीय स्तर पर इसका संज्ञान लिया गया। दिल्ली से लेकर दक्षिण के नेताओं ने भी पवार को फोन कर पद पर बने रहने का निवेदन किया है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर भी उनके राजनीतिक कद पर मुहर लगी है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि देश के राष्ट्रीय नेताओं ने पवार ने निवेदन किया है कि कम से कम 2024 के लोकसभा चुनाव तक ने पद पर बने रहे। वे कहते हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं को विश्वास है कि पवार साहब कुछ भी कर सकते हैं।



उत्तराधिकार की लड़ाई पर ब्रेक

राकांपा के आम कार्यकर्ताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं के सामने यह सवाल लंबे समय से मुंह बाए खड़ा है कि शरद पवार के बाद कौन। फिलहाल इसका जवाब मिलते मिलते रह गया है। पार्टी में पवार के भतीजे अजित पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले को पवार का उत्तराधिकारी माना जाता है। हालांकि सुले की अपेक्षा अजित का पार्टी के आम कार्यकर्ताओं से कनेक्ट नहीं है। अजित अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं पर राजनीति में इतनी खरी खरी भी नहीं चलती।

इस्तीफे से साफ हुई स्थिति

पवार के पार्टी अध्यक्ष पद पर इस्तीफे से यह साफ हो गया है कि उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी पार्टी पर मजबूत पकड़ कायम है। उनके इस्तीफे के बाद जिस तरह पार्टी पदाधिकारियों में इस्तीफा देने की




Created On :   5 May 2023 9:16 PM IST

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