नाराजगी के बाद मनमुटाव: महाराष्ट्र में एनसीपी अजीत गुट के नेता सलीम सारंग ने मुस्लिम आरक्षण की मांग कर, सरकार की बढ़ाई मुश्किलें

महाराष्ट्र में एनसीपी अजीत गुट के नेता सलीम सारंग ने मुस्लिम आरक्षण की मांग कर, सरकार की बढ़ाई मुश्किलें
  • सारंग की मांग से गठबंधित शिंदे सरकार की बढ़ सकती है मुश्किलें
  • मांग में राजनीतिक आरक्षण भी शामिल
  • कोई भी सरकार कोर्ट द्वारा अनुमोदित आरक्षण को लागू नहीं करती

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) (अजीत गुट) के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी उपाध्यक्ष सलीम सारंग ने आंध्रप्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी की तर्ज पर महाराष्ट्र में मुलसमानों के लिए नौकरियों और शिक्षा के अलावा राजनीतिक आरक्षण की मांग की है। सारंग दशकों से मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे है। सारंग की नई मांग में राजनीतिक आरक्षण भी शामिल है। उन्होंने मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने और सड़कों पर उतरने की भी धमकी दी। सारंग की मांग ने राज्य की गठबंधित शिंदे सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। नेता की राह पर यदि एनसीपी अजीत भी मुस्लिम आरक्षण की मांग करने पर उतर आई तो राज्य सरकार के साथ केंद्र की नवगठित एनडीए सरकार को भी भविष्य में नुकसान हो सकता है।

सारंग का कहना है कि 'किसी भी बड़े राजनैतिक दल ने कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा। महाराष्ट्र से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है। नरेंद्र मोदी सरकार में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है। सारंग का बयान महाराष्ट्र में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आया है। उल्लेखनीय है कि यहां स्थानीय निकाय चुनाव , नगर निगमों और नगर परिषदों में लंबे समय से लंबित हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने मुस्लिम समुदाय के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृत शिक्षा में पांच प्रतिशत आरक्षण को अभी तक लागू नहीं किया है। उन्होंने सवाल किया कि अगर यह आरक्षण अन्य राज्यों में लागू है तो महाराष्ट्र में ऐसा क्यों नहीं किया गया।

सारंग ने कहा अगर एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) जो अब बीजेपी की सहयोगी है और मोदी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की एक महत्वपूर्ण सदस्य है , आंध्र प्रदेश में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर सकती है तो महाराष्ट्र सरकार को इसे लागू करने से कौन रोक रहा है। शिक्षा में मुसलमानों को पांच आरक्षण जो पहले ही उच्च न्यायालय द्वारा पारित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के मामले में, आर्थिक बाधाओं के कारण मुस्लिम समुदाय अभी भी पिछड़ा हुआ है और आंकड़े खुद इसकी कहानी कहते हैं। छह से 14 वर्ष की आयु के लगभग 75 प्रतिशत बच्चे स्कूल के पहले कुछ वर्षों के भीतर शिक्षा से चूक जाते हैं।

यूनीवार्ता न्यूज एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार राकांपा नेता ने कहा , “केवल दो से तीन प्रतिशत बच्चे ही उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं। गरीबी रेखा से नीचे मुसलमानों का अनुपात भी अधिक है। सरकारी नौकरियों के साथ-साथ निजी नौकरियों में भी यह अनुपात दो से ढाई प्रतिशत है। अशिक्षित और बेरोजगार मुस्लिम युवाओं में नशीली दवाओं की लत और आपराधिकता बढ़ रही है। इन सबका मूल कारण शिक्षा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में चाहे कोई भी सरकार आए, कोई भी मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेता है और कोर्ट द्वारा अनुमोदित इस आरक्षण को लागू नहीं करता है, यह अपमानजनक है। ऐसा लगता है कि हर पार्टी मुसलमानों का इस्तेमाल केवल चुनाव में वोट पाने के लिए करती है। लेकिन कोई भी मुसलमानों के अधिकारों के लिए लड़ता नहीं दिख रहा है। मुसलमानों को शैक्षिक आरक्षण के साथ-साथ राजनीतिक आरक्षण की भी मांग करनी चाहिए।

Created On :   11 Jun 2024 4:30 PM IST

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