स्वास्थ्य/चिकित्सा: ट्रंप प्रशासन ने खींचा हाथ, अब बर्ड फ्लू को लेकर अमेरिका से जानकारी साझा करना बना चुनौती डब्ल्यूएचओ

ट्रंप प्रशासन ने खींचा हाथ, अब बर्ड फ्लू को लेकर अमेरिका से जानकारी साझा करना बना चुनौती  डब्ल्यूएचओ
अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से हटने के कारण बर्ड फ्लू के प्रकोप से जुड़ी जानकारी साझा करने में कठिनाई हो रही है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने जिनेवा में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका के साथ कम्युनिकेशन एक बड़ी चुनौती बन गया है क्योंकि पारंपरिक संपर्क के तरीके अब खत्म हो चुके हैं। हालांकि, उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।

जिनेवा, 12 फरवरी (आईएएनएस)। अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से हटने के कारण बर्ड फ्लू के प्रकोप से जुड़ी जानकारी साझा करने में कठिनाई हो रही है। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने जिनेवा में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका के साथ कम्युनिकेशन एक बड़ी चुनौती बन गया है क्योंकि पारंपरिक संपर्क के तरीके अब खत्म हो चुके हैं। हालांकि, उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।

अप्रैल 2024 में अमेरिका में एच5एन1 बर्ड फ्लू का प्रकोप सामने आया था, जिसमें अब तक लगभग 70 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर खेतों में काम करने वाले मजदूर हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने बताया कि अब तक इस वायरस के मानव-से-मानव संक्रमण के कोई सबूत नहीं मिले हैं और आम जनता के लिए जोखिम कम है। लेकिन जो लोग पक्षियों, मुर्गियों या मवेशियों के संपर्क में रहते हैं, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक है।

डब्ल्यूएचओ से अमेरिका के हटने के फैसले को लेकर चिंता जताई जा रही है, खासकर नई बीमारियों और वायरस के बारे में जानकारी साझा करने के मामले में। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अपने शपथ ग्रहण के दिन एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर अमेरिका को डब्ल्यूएचओ से बाहर निकाल दिया।

अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ देशों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि अमेरिका भविष्य में वायरस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करना बंद कर सकता है। ऐसा होने पर, किसी भी नए वायरस के प्रसार को रोकने में दिक्कतें आ सकती हैं।

हाल ही में अमेरिकी राज्य नेवादा में डेयरी मवेशियों में बर्ड फ्लू का एक नया प्रकार मिला है, जिससे स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। वैज्ञानिकों को डर है कि यह संक्रमण और ज्यादा फैल सकता है।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि डब्ल्यूएचओ ने कोविड महामारी को सही तरीके से नहीं संभाला और अमेरिका को संगठन को जरूरत से ज्यादा पैसा देना पड़ता था। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका से अधिक धन लिया जाता था, जबकि चीन जैसे अन्य बड़े देश कम योगदान देते थे।

अमेरिका लंबे समय से डब्ल्यूएचओ का सबसे बड़ा वित्तीय सहयोगी रहा है। 2022 और 2023 में अमेरिका ने संगठन को 1.28 अरब डॉलर दिए, जो जर्मनी के 400 मिलियन डॉलर अधिक था।

डब्ल्यूएचओ को उम्मीद है कि अमेरिका इस फैसले पर फिर से विचार करेगा, जिससे दुनिया भर के लोगों का कल्याण होगा।

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Created On :   12 Feb 2025 11:29 AM IST

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